भारत में छात्र आत्महत्या संकट ने सुप्रीम कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया | Current Affairs | Vision IAS
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कुछ प्रमुख संस्थानों में हुई इन दुखद घटनाओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है, और प्रणालीगत सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है।

इस संबंध में भारत से संबंधित आंकड़ें

  • NCRB, 2022 के अनुसार भारत में कुल आत्महत्याओं में से 7.6% आत्महत्याएं छात्रों द्वारा की गई थी।
  • छात्रों की आत्महत्या दर छात्राओं की आत्महत्या दर से अधिक है।
  • इससे सबसे अधिक प्रभावित तीन राज्य: महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश हैं।

छात्रों द्वारा आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के पीछे के कारण

  • शैक्षणिक कारण: इसमें शैक्षणिक असंतोष, तनाव व असफलता, विद्यालय का नकारात्मक माहौल (जैसे सहपाठियों/ शिक्षकों के साथ सकारात्मक जुड़ाव की कमी, उत्पीड़न, अपमान, अलगाव आदि) शामिल हैं। 
  • संस्थागत कारण: इसमें बुलीइंग, जातिगत भेदभाव, रैगिंग, प्रतिकूल संस्थागत संस्कृति, साथियों का दबाव आदि शामिल है।
  • पारिवारिक मुद्दे: उदाहरण के लिए- पारिवारिक संघर्ष और अस्थिरता (तलाक, अलगाव, वित्तीय कठिनाइयां आदि); माता-पिता की ओर से उपेक्षा; किसी प्रियजन की मृत्यु; अवसाद या अन्य मानसिक बीमारियों का इतिहास; बचपन के खराब अनुभव; सोशल मीडिया की लत आदि।
  • सामाजिक कारण: मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और मदद लेने को लेकर हीन भावना।

छात्रों को आत्महत्या करने से रोकने के लिए उठाए गए कदम

  • मनोदर्पण: शिक्षा मंत्रालय का यह कार्यक्रम परामर्श हेल्पलाइन और लाइव इंटरैक्टिव सत्रों के माध्यम से अब तक लाखों छात्रों की मदद कर चुका है।
  • राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम: इसका उद्देश्य देश में गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं की उपलब्धता में सुधार करना है।
  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स: इसका उद्देश्य छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटना, शैक्षणिक संस्थानों में आत्महत्याओं की रोकथाम से संबंधित मुद्दों पर चर्चा और विचार-विमर्श करना तथा निवारक उपायों की सिफारिश करना है।
  • जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का यह कार्यक्रम 767 जिलों को कवर करता है। इसमें स्कूलों एवं कॉलेजों में आत्महत्या रोकथाम सेवाएं और लाइफ स्किल प्रशिक्षण शामिल हैं।
  • मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम: IITs में तनाव प्रबंधन और सहनशीलता पर कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं।
  • UGC की सलाह: उच्चतर शिक्षा संस्थानों को शारीरिक फिटनेस, खेल, छात्र कल्याण एवं भावनात्मक कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए।
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