वे स्वतंत्र भारत के इतिहास में कार्यकाल पूरा होने से पहले त्याग-पत्र देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति हैं।
- संविधान में प्रावधान है कि यदि किसी कारणवश (मृत्यु, त्याग-पत्र, हटाए जाने आदि) उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है, तो उस रिक्ति को भरने के लिए जल्द-से-जल्द चुनाव कराया जाना चाहिए।
- नव निर्वाचित उपराष्ट्रपति पद ग्रहण करने की तारीख से पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए पद धारण करता है।
