इस समिति को नए आयकर विधेयक, 2025 की समीक्षा के लिए नियुक्त किया गया था। समिति ने सुझाव दिए कि भारत के कराधान नियमों को आधुनिक बनाया जाना चाहिए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कर व्यवस्था निष्पक्ष व पारदर्शी हो और विवाद कम हों।
समिति द्वारा की गई प्रमुख सिफारिशें
- नए आयकर विधेयक के तहत कर अधिकारियों की शक्तियों को बरकरार रखा गया: नए आयकर विधेयक के तहत प्रावधान किया गया है कि खोज और जब्ती (search and seizure) की कार्रवाई के दौरान जरूरत पड़ने पर कर अधिकारी सोशल मीडिया एवं निजी ईमेल तक पहुंच सकते हैं, भले ही यह जबरन ही क्यों न हो।
- परिभाषाओं को अपडेट करना: “पूंजीगत परिसंपत्ति”, “इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिटल कंपनी” और “सूक्ष्म व लघु उद्यम” जैसी परिभाषाओं को वर्तमान कानूनों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है।
- व्यवसाय और स्टार्ट-अप्स को सहयोग: अनुसंधान एवं विकास (R&D) के लिए कर कटौती के नियमों को स्पष्ट करना, बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट का प्रबंधन करने वाले व्यवसायों को कर में छूट देना, और कर संबंधी अपीलों में “पैरेंट कंपनी” तथा “स्थिति” (status) की परिभाषा को स्पष्ट करना आवश्यक है।
आयकर विधेयक, 2025 के बारे में
यह विधेयक आयकर अधिनियम, 1961 को बदलने के लिए लाया गया है। इसका उद्देश्य कानून की भाषा को आसान बनाना और अप्रचलित व अनावश्यक प्रावधानों को हटाना है। इसके मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं:
- प्रावधानों में कमी: इस विधेयक में 1961 के अधिनियम से 283 धाराएं और 24 अध्याय हटा दिए गए हैं।
- भाषा को सरल बनाना: ‘वित्त वर्ष’ और ‘आकलन वर्ष’ जैसे शब्दों की जगह ‘कर वर्ष’ (tax year) शब्द का उपयोग किया गया है।
- वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के लिए प्रावधान: इसमें “वर्चुअल डिजिटल एसेट्स” और “इलेक्ट्रॉनिक माध्यम” की परिभाषा दी गई है तथा उन पर कर लगाने के नियम भी शामिल किए गए हैं।
- अन्य: कर नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है तथा कर दरों में भी कोई संशोधन नहीं किया गया है। इससे करदाताओं के लिए पूर्वानुमानित माहौल बना रहेगा। साथ ही, सभी संशोधनों को एक ही जगह समाहित किया गया है।