रण संवाद 2025 में भारत की प्रस्तावित थिएटराइजेशन योजना को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोण उभरकर सामने आए।
थिएटराइजेशन क्या है?
- थिएटराइजेशन एक ऐसी योजना है जिसके तहत थल सेना, नौसेना और वायुसेना की क्षमताओं और संसाधनों को एकीकृत कर भौगोलिक क्षेत्रों के आधार पर विशिष्ट कमांड्स के अंतर्गत रखा जाता है, ताकि वे एकल व एकीकृत कमान संरचना के अधीन कार्य कर सकें।
- यह आजादी के बाद भारत में होने वाला सबसे बड़ा सैन्य पुनर्गठन है, जिसका उद्देश्य मौजूदा 17 सर्विस-स्पेसिफिक कमांड्स की प्रणाली को बदलना और संयुक्त/ थिएटर कमान की स्थापना करना है।
- संयुक्त/ थियेटर कमान की स्थापना की जिम्मेदारी डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (DMA) के प्रमुख चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) को सौंपी गई है।

थिएटराइजेशन से जुड़ी चुनौतियां
- भारतीय वायुसेना की आशंकाएं: वायुसेना को डर है कि सीमित सैन्य संसाधनों का बंटवारा उसकी मुख्य रणनीति और व्यापक कार्रवाई करने की क्षमता को कमजोर कर सकता है।
- भारत-विशिष्ट मॉडल: अमेरिका जैसे विदेशी मॉडल की हूबहू नकल करने की बजाय भारत की विशेष परिस्थितियों और खतरों के अनुसार अपना मॉडल बनाने पर जोर देना चाहिए।
- संरचनात्मक व्यवधान: मौजूदा कमान संरचनाओं को हटाने से ट्रांजिशन के दौरान युद्ध की तैयारी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- डोमेन संबंधी ज्ञान और कमान: यह भी चिंता व्यक्त की गई है कि किसी एक सेना का थिएटर कमांडर दूसरी सेना की क्षमताओं (खासकर वायुशक्ति) को पूरी तरह समझ और संचालित नहीं कर पाएगा।
- लागत और औद्योगिक आधार: आशंका है कि थिएटराइजेशन पर बहुत ज्यादा खर्च होगा, लेकिन उसके बदले प्रभावी परिणाम मिलेंगे या नहीं यह साफ नहीं है। साथ ही, भारत की घरेलू रक्षा-औद्योगिक संरचना अभी इतनी सशक्त नहीं है कि वह इन सुधारों का पूरा भार वहन कर सके।