यह 15-वर्षीय योजना सशस्त्र बलों के दीर्घकालिक आधुनिकीकरण लक्ष्यों के बारे में जानकारी प्रदान करती है। इसका उद्देश्य उद्योग को प्रौद्योगिकी विकास हेतु दिशा देना और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।
- TPCR, 2025 पिछले संस्करणों (2013 व 2018) पर आधारित है। यह स्वदेशीकरण पर विशेष बल देता है।
TPCR के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- युद्ध पर तकनीकी प्रभाव: भविष्य के ऑपरेशंस को साइबर ऑपरेशन्स, सूचना प्रभुत्व, स्पेस वार और रोबोटिक्स, AI एवं IT में हुई प्रगति प्रभावित करेगी।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर ध्यान: सार्वजनिक व निजी दोनों क्षेत्रकों के मध्य सेवाओं के स्वदेशीकरण और आधुनिकीकरण के लिए मजबूत सहयोग जरूरी है।
- प्रमुख तकनीकी आवश्यकताएं:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग और बिग डेटा: इनमें माइंस बिछाने के लिए AI-आधारित स्वायत्त मानवरहित जमीनी वाहन (UGVs), डीप फेक डिटेक्शन सॉफ्टवेयर आदि शामिल हैं।
- मानवरहित और स्वायत्त प्रणाली: इसमें स्टील्थ क्षमता वाले मध्यम/ उच्च ऊंचाई वाले, लंबे समय तक उड़ान भरने में सक्षम और रिमोट से नियंत्रित विमान (MALE/ HALE RPAs), ड्रोन-आधारित माइन्स डिलीवरी सिस्टम आदि शामिल हैं।
- साइबर और इलेक्ट्रॉनिक वार (EW): इसमें इंटीग्रेटेड EW सिस्टम, फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (FRCV), इलेक्ट्रॉनिक डिनायल बबल आदि शामिल हैं।
- परमाणु प्रतिरोधक उपाय: इसमें विकिरण का पता लगाने वाले उपकरण, डी-कंटैमिनेशन सिस्टम, आर्मर्ड एम्फीबियस डोजर आदि शामिल हैं।
- नौसेना प्रणालियां: इसमें विमानवाहक पोत, अगली पीढ़ी के कॉर्वेट, परमाणु प्रणोदन प्रणालियां आदि शामिल हैं।
रक्षा क्षेत्रक के स्वदेशीकरण के लिए भारत की प्रमुख परियोजनाएं
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