भारत में ई-गवर्नेंस को आगे बढ़ाने के लिए ‘विशाखापत्तनम घोषणा-पत्र’ को अपनाया गया | Current Affairs | Vision IAS
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भारत में ई-गवर्नेंस को आगे बढ़ाने के लिए ‘विशाखापत्तनम घोषणा-पत्र’ को अपनाया गया

Posted 24 Sep 2025

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यह घोषणा एआई, ब्लॉकचेन और डिजिटल साक्षरता के साथ समावेशी, प्रौद्योगिकी-संचालित शासन को बढ़ावा देती है, तथा स्केलेबल मॉडल, साइबर सुरक्षा, ग्रामीण पहुंच और डिजिटल विभाजन और बुनियादी ढांचे के अंतराल जैसी चुनौतियों पर काबू पाने पर जोर देती है।

इस घोषणा-पत्र को 28वें राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन में अपनाए गया है। इसमें यह आह्वान किया गया है कि समग्र सरकारी तंत्र को मिलकर काम करना होगा, ताकि सार्वजनिक सेवाओं को डिजिटल कौशल के साथ मजबूत किया जा सके और तेजी से, डेटा-आधारित प्रणाली विकसित की जा सके।

विशाखापत्तनम घोषणा-पत्र के मुख्य प्रस्तावों पर एक नजर

  • राष्ट्रीय दृष्टिकोण: समावेशी, नागरिक-केंद्रित और पारदर्शी शासन को बढ़ावा देना, जिसमें न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन पर जोर दिया गया हो। 
  • प्रौद्योगिकी-आधारित शासन: AI, ML, ब्लॉकचेन, GIS, IoT और डेटा एनालिटिक्स को अपनाकर बहुभाषी, रियल-टाइम एवं क्षेत्रक-विशिष्ट नागरिक सेवाएं प्रदान करना। इसमें नैतिकता और पारदर्शिता अपनाने की जरूरत पर बल दिया गया है।
    • उदाहरण: डिजिटल इंडिया भाषिणी, डिजी यात्रा, NADRES V2 आदि।
  • सफल मॉडल्स का विस्तार: SAMPADA/संपदा 2.0 (मध्य प्रदेश), ई-खाता (बेंगलुरु), रोहिणी ग्राम पंचायत (महाराष्ट्र), NHAI का ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (DAMS) आदि जैसे मॉडल्स के राष्ट्रव्यापी विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना।
  • जमीनी स्तर और समावेशी विकास:
    • भौगोलिक पहुंच: नेशनल ई-गवर्नेंस सर्विस डिलीवरी असेसमेंट (NeSDA) ढांचे के तहत उत्तर-पूर्व और लद्दाख जैसे क्षेत्रों तक पहुंच बढ़ाना, जहां कनेक्टिविटी की समस्या है।
    • सफल पंचायत डिजिटल मॉडल्स का पूरे देश में विस्तार; महिलाओं, युवाओं आदि को लक्षित कर डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम शुरू करना इत्यादि।
  • साइबर सुरक्षा और स्थिरता: जीरो ट्रस्ट आर्किटेक्चर, पोस्ट-क्वांटम सुरक्षा तथा AI आधारित निगरानी जैसी तकनीकों को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रकों जैसे परिवहन, रक्षा एवं नागरिक सेवा प्लेटफॉर्म में लागू करना।
  • कृषि और संधारणीयता: नेशनल एग्री स्टैक के माध्यम से किसानों को बेहतर क्रेडिट, सलाह और बाजार तक पहुंच प्रदान करना।
  • अन्य पहलें: सरकार, उद्योग एवं अन्य साझेदारों के बीच सहयोग से बड़े पैमाने पर डिजिटल समाधान विकसित करना; उदाहरण के लिए- विशाखापत्तनम को आई.टी. और नवाचार केंद्र बनाना।

भारत में ई-गवर्नेंस के समक्ष प्रमुख चुनौतियां

  • डिजिटल विभाजन और कम साक्षरता: शहरी-ग्रामीण, अमीर-गरीब, भाषा और साक्षर-निरक्षर के अंतर से डिजिटल सेवाओं तक पहुंच सीमित होती है।
  • अवसंरचना की कमी: खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी, निरंतर विद्युत आपूर्ति का अभाव और दूरदराज के इलाकों में अपर्याप्त ICT बुनियादी ढांचा।
  • बदलाव के प्रति प्रतिरोध: कागज आधारित सिस्टम से डिजिटल सिस्टम की ओर बदलाव के लिए नौकरशाही की अनिच्छा डिज़िटल समाधानों को अपनाने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है।
  • विभागीय समन्वय और इंटरऑपरेबिलिटी की कमी: विभिन्न विभागों के अलग-अलग सिस्टम एवं असंगत तकनीकें, निर्बाध सेवा वितरण में बाधा उत्पन्न करते हैं।
  • Tags :
  • Visakhapatnam Declaration
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