जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पहलगाम आतंकी हमला करने वाले आतंकवादियों को "लॉजिस्टिक सहायता" प्रदान करने के आरोप में एक कथित ओवरग्राउंड वर्कर (OGW) को गिरफ्तार किया है।
ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) के बारे में
- OGWs वे लोग होते हैं, जो आतंकवादियों को जरूरत की सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं और उन्हें गुप्त गतिविधियां संचालित करने में सहायता प्रदान करते हैं।
- आतंकी संगठनों के लिए OGWs की भूमिका
- भर्ती: इन लोगों की स्थानीय युवाओं को आतंकवादी समूहों में भर्ती कराने में भूमिका होती है। इसमें जबरन भर्ती भी शामिल है।
- वित्त-पोषण: इसके लिए अवैध व्यापार, जाली मुद्रा की तस्करी, कर चोरी, हवाला लेन-देन आदि गतिविधियां की जाती हैं।
- अन्य हितधारकों के साथ समन्वय: OGWs अलगाववादी नेताओं, संगठित अपराध नेटवर्क्स आदि के साथ समन्वय स्थापित करने का कार्य करते हैं।
- जायज ठहराना (Legitimization): OGWs प्रोपेगेंडा, कट्टरवाद (रेडिकलाइजेशन), स्थानीय लोगों की शिकायतों का सहारा लेने जैसे तरीकों के माध्यम से आतंकी गतिविधियों को जायज ठहराने का प्रयास करते हैं।
- OGWs को निष्प्रभावी बनाने के उपाय
- कानूनी उपाय: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर (JeI) को गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम - UAPA, 1967 की धारा 3 के तहत अवैध संगठन घोषित किया है।
- JeI के सदस्यों पर अक्सर OGWs के रूप में काम करने का आरोप लगता रहा है।
- अन्य उपाय:
- अनाथ बच्चों और महिलाओं का पुनर्वास करके सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। सरकार द्वारा संचालित ऑपरेशन सद्भावना (गुडविल) इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
- कट्टरपंथ फ़ैलाने के प्रयासों पर निगरानी रखने के लिए खुफिया अवसंरचना में सुधार किया जाना चाहिए।
- आतंकवादियों और OGWs को जल्दी सजा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट्स का गठन किया जाना चाहिए।
- कानूनी उपाय: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर (JeI) को गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम - UAPA, 1967 की धारा 3 के तहत अवैध संगठन घोषित किया है।
गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967
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