दोनों देशों ने अक्टूबर 2000 में "भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी घोषणा-पत्र" पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद से भारत-रूस संबंधों में राजनीति, सुरक्षा, रक्षा, व्यापार व अर्थव्यवस्था, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संस्कृति और लोगों के बीच संपर्क (P2P) सहित कई क्षेत्रकों में सहयोग में वृद्धि हुई है।
बहुआयामी भारत-रूस राजनयिक संबंधों पर एक नजर
- रणनीतिक साझेदारी फ्रेमवर्क: द्विपक्षीय संबंधों को 2010 में 'विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी (Special and Privileged Strategic Partnership)' के स्तर तक बढ़ाया गया था। यह दोनों देशों के मध्य विश्वास और सहयोग के घनिष्ठ स्तर को दर्शाता है।
- वार्ता हेतु संस्थागत व्यवस्था: हर साल शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच 2+2 वार्ता होती है। साथ ही, व्यापार, अर्थव्यवस्था, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, तथा संस्कृति पर सहयोग के लिए भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग मौजूद है। इसके अलावा, दोनों देशों की सेनाओं के बीच तकनीकी सहयोग भी जारी है।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग
- वित्त वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार 68.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है।
- भारत से रूस को होने वाले प्रमुख निर्यात: इसमें फार्मास्यूटिकल्स, कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन, लोहा एवं इस्पात तथा समुद्री उत्पाद शामिल हैं।
- रूस से भारत को होने वाले प्रमुख निर्यात: इसमें तेल एवं पेट्रोलियम उत्पाद, वनस्पति तेल (सूरजमुखी तेल), उर्वरक, कोकिंग कोयला, तथा कीमती पत्थर और धातुएं शामिल हैं।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: दोनों देशों के मध्य सहयोग अब क्रेता-विक्रेता के फ्रेमवर्क से आगे बढ़कर उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों के संयुक्त अनुसंधान, विकास एवं उत्पादन की ओर बढ़ गया है। उदाहरण के लिए- ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों का संयुक्त विकास।
- बहुपक्षीय सहयोग: दोनों देश संयुक्त राष्ट्र, G-20, ब्रिक्स, SCO आदि मंचों पर एक-साथ मिलकर काम करते हैं।