नोबेल शांति पुरस्कार, 2025
वर्ष 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार मारिया कोरिना मचाडो को देने की घोषणा की गई।
- यह पुरस्कार वेनेजुएला में तानाशाही से लोकतंत्र की ओर न्यायसंगत एवं शांतिपूर्ण बदलाव हेतु मचाडो के संघर्ष के लिए दिया गया है।
नोबेल शांति पुरस्कार के बारे में
- नोबेल शांति पुरस्कार की स्थापना 1901 में हुई थी।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यह पुरस्कार निम्नलिखित चार मुख्य क्षेत्रों में प्रयासों को सम्मानित करने के लिए दिया जाता रहा है:
- शस्त्र नियंत्रण और निरस्त्रीकरण;
- शांति वार्ता;
- लोकतंत्र और मानवाधिकार;
- बेहतर संगठित और अधिक शांतिपूर्ण विश्व सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया कार्य।
- नोबेल शांति पुरस्कार विजेता भारतीय नागरिक:
- मदर टेरेसा (1979); तथा
- कैलाश सत्यार्थी (2014)
- Tags :
- Nobel Peace Prize
- Maria Corina Machado
बामियान बुद्ध
हाल ही में, बामियान बुद्ध सुर्ख़ियों में थे।
बामियान बुद्ध के बारे में
- बामियान में बुद्ध की किसी स्मारक के आकार की दो प्रतिमाएं थीं, जिनकी ऊंचाई 115 और 174 फीट थी।
- अवस्थिति: मध्य अफगानिस्तान में बामियान घाटी की बलुआ पत्थर की चट्टानें।
- अवधि: छठी शताब्दी में निर्मित।
- कलात्मक महत्त्व: ये प्रतिमाएं गांधार बौद्ध कला का उदाहरण प्रस्तुत करती थीं।
- मध्य एशिया में बौद्ध धर्म के प्रसार से निकटता से जुड़ी थीं।
- विध्वंस: 2001 में तालिबान द्वारा नष्ट कर दिया गया।
- यूनेस्को द्वारा मान्यता: बामियान घाटी को 2003 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
- Tags :
- Bamiyan Buddhas
- Gandharan Buddhist art
सावलकोट जल-विद्युत परियोजना
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की शीर्ष समिति ने सावलकोट जल-विद्युत परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी प्रदान कर दी है।
सावलकोट जल-विद्युत परियोजना के बारे में
- यह 1,856 मेगावाट क्षमता वाली ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ जल-विद्युत परियोजना है।
- यह परियोजना चेनाब नदी पर केंद्र-शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के रामबन एवं उधमपुर जिलों में प्रस्तावित है।
- ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ परियोजना बिजली उत्पादन के लिए नदी के प्राकृतिक प्रवाह का उपयोग करती है। इस तरह की परियोजना में बहुत कम जल भंडारण की आवश्यकता होती है या बिल्कुल नहीं होती।
- भारत द्वारा सिंधु जल संधि ( IWT) के निलंबन के बाद पहली बार सिंधु नदी तंत्र पर किसी बड़ी जल-विद्युत परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी प्रदान की गई है।
- Tags :
- Chenab River
- Indus Waters Treaty (IWT)
- Sawalkote hydroelectric Project
सिद्दी आदिवासी समुदाय
सिद्दी आदिवासी समुदाय एक विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) है। इसने 72 प्रतिशत से अधिक की साक्षरता दर हासिल की है।
सिद्दी आदिवासी समुदाय के बारे में
- इन्हें हब्शी या बादशाह के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अफ्रीकी-भारतीय आदिवासी समुदाय है, जिनके बारे में माना जाता है कि ये पूर्वी अफ्रीका से प्रवास करके आए थे।
- अवस्थिति: भारत का पश्चिमी तट, अर्थात् गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र।
- व्यवसाय: पारंपरिक रूप से शिकारी और संग्राहक थे; अब अधिकांशतः कृषि मजदूर और दिहाड़ी मजदूर हैं।
- ऐसा माना जाता है कि वे पहली बार 7वीं शताब्दी में अरब व्यापारियों के साथ तथा 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों और अंग्रेजों के साथ, ज़्यादातर गुलामों के रूप में भारत आए थे।
- वर्तमान में, ये केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त हैं।
- Tags :
- Particularly Vulnerable Tribal Group
- Siddi tribal community
यादृच्छिक संख्याएं
रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने वास्तविक (True) यादृच्छिक संख्याएं प्राप्त करने और प्रमाणित करने के लिए नई क्वांटम तकनीकें विकसित की।
यादृच्छिक संख्याएं क्या हैं?
- ये संख्याएं डिजिटल एन्क्रिप्शन, सत्यापन प्रणाली और साइबर सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक होती हैं।
- वर्तमान प्रणालियां छद्म-यादृच्छिक संख्याओं (Pseudorandom numbers) का उपयोग करती हैं, जिन्हें एल्गोरिदम द्वारा उत्पन्न किया जाता है। ऐसी संख्याएं पूरी तरह से यादृच्छिक नहीं होतीं, क्योंकि क्वांटम कंप्यूटर की सहायता से इनका पूर्वानुमान किया जा सकता है।
वास्तविक यादृच्छिक संख्याएं क्या हैं?
- वास्तविक यादृच्छिकता (True Randomness) उन प्राकृतिक या भौतिक प्रक्रियाओं में देखी जाती है, जो प्राकृतिक रूप से अनिश्चित होती हैं, और किसी एल्गोरिदम से उत्पन्न नहीं होतीं।
- रेडियोएक्टिविटी और मौसम संबंधी घटनाएं प्रकृति में प्राप्त यादृच्छिक प्रक्रियाएं हैं।
- इनसे उत्पन्न संख्याएं पूर्णतः अप्रत्याशित एन्क्रिप्शन-की (Unpredictable Encryption Keys) बनाने में सक्षम होती हैं, जिससे डिजिटल प्रणालियां लगभग सुरक्षित बन सकती हैं।
- Tags :
- Quantum Random Number Generation
- Raman Research Institute
राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM)
केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने तीन बड़े बंदरगाहों (महापत्तनों) को राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) के तहत “ग्रीन हाइड्रोजन हब” के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता प्रदान की।
- ‘ग्रीन हाइड्रोजन हब’ के रूप में मान्यता प्राप्त बंदरगाह हैं:
- दीनदयाल पोर्ट प्राधिकरण (गुजरात);
- वी. ओ. चिदंबरनार पोर्ट प्राधिकरण (तमिलनाडु); तथा
- पारादीप पोर्ट प्राधिकरण (ओडिशा)
- ‘ग्रीन हाइड्रोजन हब’ की मान्यता मिलने से इन बंदरगाहों में औद्योगिक क्षेत्र की भागीदारी बढ़ेगी, हरित निवेश में वृद्धि होगी और स्वच्छ ईंधन प्रौद्योगिकियों में नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा।
राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) के बारे में
- घोषणा: जनवरी 2023 में की गई।
- उद्देश्य: भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और उसके उप-उत्पादों या डेरिवेटिव्स के उत्पादन, उपयोग एवं निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना।
- लक्ष्य: वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- Tags :
- National Green Hydrogen Mission (NGHM)
- Ministry of New and Renewable Energy (MNRE)
- Green Hydrogen Hubs