इस विधेयक का उद्देश्य भारतीय नागरिकों के विदेशों में काम करने और वहां रहने से संबंधित कानूनों को एकीकृत एवं संशोधित करना है।
- इस विधेयक के तहत विदेश में रोजगार और कार्य-संबंधी उद्देश्यों के लिए प्रवासन की प्रक्रिया को सुरक्षित, कानूनी, सुव्यवस्थित व पारदर्शी बनाने के लिए एक मजबूत फ्रेमवर्क का प्रस्ताव किया गया है।
- यह विधेयक कानून बन जाने के बाद 1983 के इमिग्रेशन एक्ट का स्थान लेगा।
- वैश्वीकरण के बढ़ते प्रभाव, कार्य के नए अवसरों के सृजन, और विदेश में रोजगार की तलाश के दौरान संकट में फंसने वाले नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस तरह का कानून आवश्यक हो गया है।
विधेयक के मुख्य प्रावधानों पर एक नजर
- ओवरसीज मोबिलिटी और कल्याण परिषद का गठन किया जाएगा। यह परिषद इस कानून के तहत शक्तियों का प्रयोग और कार्यों का निर्वहन करेगी।
- विदेश मंत्रालय का सचिव इस परिषद का पदेन अध्यक्ष होगा।
- मोबिलिटी रिसोर्स सेंटर्स स्थापित किए जाएंगे, जो प्रवासियों को सूचना, संसाधन एवं प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
- एकीकृत सूचना प्रणाली स्थापित की जा सकती है, जो नीति निर्माण और उसके क्रियान्वयन में सहायता प्रदान करेंगी।
- गैर-कानूनी प्रवासन और मानव तस्करी की समस्याओं से निपटने हेतु नीतियां बनाई जाएंगी और आवश्यक उपाय किए जाएंगे।
- ओवरसीज प्लेसमेंट एजेंसियों को मान्यता देने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही, कुछ श्रेणियों के विदेशी नियोक्ताओं के लिए कुछ प्रक्रियाएं भी अनिवार्य की जाएंगी।
- ओवरसीज प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा सक्षम प्राधिकारी के आदेशों का उल्लंघन करने पर प्रत्येक उल्लंघन के लिए कम-से-कम पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।