पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाली वैश्विक संस्थाओं की घटती विश्वसनीयता और पक्षपाती होने की धारणा के बीच भारत की भूमिका | Current Affairs | Vision IAS
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    पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाली वैश्विक संस्थाओं की घटती विश्वसनीयता और पक्षपाती होने की धारणा के बीच भारत की भूमिका

    Posted 05 Nov 2025

    1 min read

    आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में कार्यरत प्रमुख वैश्विक संस्थाओं को कभी निष्पक्ष माना जाता था। हालांकि, ये संस्थाएं अब अमेरिकी विदेश नीति के विशिष्ट और हस्तक्षेप करने वाले पहलू के साथ खड़ी दिख रही हैं। इससे उनकी विश्वसनीयता कम हो रही है और वैश्विक मंच पर उनकी "वैधता पर सवाल" (Legitimacy gap) उत्पन्न हो रहा है। 

    पश्चिमी देशों के प्रभुत्व वाली संस्थाओं की वैधता का क्षरण  

    • संस्थागत पूर्वाग्रह और दोहरे मापदंड: 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस के खिलाफ त्वरित और कठोर कार्रवाई की गई, जबकि गाजा में हजारों नागरिकों की मौत के बावजूद इजरायल के साथ उनके सामान्य संबंध जारी रहे।
      • उदाहरण के लिए, पेरिस ओलंपिक 2024 से रूस व बेलारूस को बाहर कर दिया गया और रूसी वित्तीय संस्थानों को स्विफ्ट (SWIFT) प्रणाली से अलग कर दिया गया, आदि। 
    • संस्थाओं का निष्क्रिय हो जाना: उदाहरण के लिए, विश्व व्यापार संगठन (WTO)-अपीलीय निकाय 2019 से निष्क्रिय बना हुआ है, क्योंकि अमेरिका ने नए सदस्यों की नियुक्ति को अवरुद्ध कर दिया है। इससे इस संस्था के कार्य करने के लिए आवश्यक कोरम पूरा नहीं हो पाता। 
    • संस्थाओं में सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व नहीं होना: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी पांच सदस्य (P5) वर्तमान वैश्विक भू-राजनीति और शक्ति-संतुलन का प्रतिनिधित्व नहीं करते। 

    संभावित रणनीतिक प्रभाव

    • वैश्विक अस्थिरता में वृद्धि: वैश्विक संस्थाओं के राजनीतिक रूप से पक्षपाती कदमों से भू-राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है। 
    • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कमी: विदेश नीति के साधन के रूप में स्विफ्ट जैसे वित्तीय नेटवर्क का दुरुपयोग वैश्विक वाणिज्य को बाधित करता है। 
    • ऊर्जा संसाधनों की कीमतों में वृद्धि: अस्थिरता और प्रतिबंध आधारित व्यवस्थाएं वैश्विक ऊर्जा बाजारों में उथल-पुथल पैदा कर सकती हैं। 

    भारत के लिए अवसर 

    • आर्थिक प्रभाव में वृद्धि: हाल ही में भारत जापान को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। 
    • रणनीतिक गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाना: यह नीति एक निष्पक्ष अग्रणी देश के रूप में भारत की विश्वसनीयता बढ़ाती है। उदाहरण के लिए- यूक्रेन संघर्ष के दौरान भारतीय मीडिया का एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में पहचान बनना। 
    • सांस्कृतिक पूंजी: मानवता आधारित सभ्यता और संस्कृति में भारत का योगदान इसे एक विशिष्ट वैश्विक स्थान देता है, जैसे- वसुधैव कुटुम्बकम यानी "एक पृथ्वी, एक परिवार" की सभ्यतागत लोकाचार। 
    • ग्लोबल साउथ पर ध्यान केंद्रित करना: उदाहरण के लिए, भारत द्वारा ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करना, भारत की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को G-20 में शामिल करना, आदि। 
    • Tags :
    • Western Institutional legitimacy
    • India's Role Amid Waning Western Legitimacy
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