सरकार अगले पांच वर्षों में 2 लाख से अधिक आबादी वाले सभी शहरों में शहरी सहकारी बैंक (UCBs) स्थापित करेगी | Current Affairs | Vision IAS
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सरकार का लक्ष्य 2 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 2 लाख से अधिक शहरी सहकारी बैंक स्थापित करना, वित्तीय समावेशन और उन्नत बैंकिंग सेवाओं के लिए डिजिटल ऐप पेश करना है।

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नई दिल्ली में शहरी सहकारी बैंक और क्रेडिट सोसायटी के सहकारिता कुंभ (को-ऑप कुंभ 2025) का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन को संबोधित करते हुए केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने UCBs की स्थापना संबंधी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

  • इसके अलावा, सरकार ने सहकार डिजी-पे और सहकार डिजी-लोन एप्लिकेशन भी लॉन्च किए। ये सबसे छोटे UCBs को भी डिजिटल भुगतान और ऋण सुविधाएं प्रदान करने में सक्षम बनाएंगे।

शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) के बारे में

  • UCBs भारत में सहकारी बैंकों का एक उपसमूह हैं, जो मुख्य रूप से शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में संचालित होते हैं।
  • इतिहास: सहकारी ऋण सोसायटी अधिनियम, 1904 और इसके 1912 के संशोधन ने इनकी स्थापना के लिए कानूनी आधार तैयार किया था।
  • पंजीकरण: ये संबंधित राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियमों (एकल-राज्य संचालन के लिए) या बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2002 (कई राज्यों में संचालन के लिए) के तहत सहकारी समितियों के रूप में पंजीकृत होते हैं।
  • नियंत्रण और विनियमन: UCBs एक दोहरी विनियामक संरचना के तहत कार्य करते हैं:
    • बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949: वर्ष 1966 में इस कानून में एक संशोधन के माध्यम से UCBs को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के दायरे में लाया गया था।
  • बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020: इसने भारतीय रिज़र्व बैंक को UCBs पर अधिक नियंत्रण प्रदान किया है। इससे वह उनके प्रबंधन और प्रशासन में हस्तक्षेप कर सकता है।
  • सहकारी समितियों का रजिस्ट्रार (RCS): संबंधित राज्य सरकारें या केंद्र सरकार RCS के माध्यम से UCBs के प्रशासनिक कार्यों को नियंत्रित करती हैं।

UCBs का महत्त्व

  • वित्तीय समावेशन: UCBs मुख्य रूप से लघु उधारकर्ताओं और कम आय वाले समूहों को सेवा प्रदान करते हैं।
  • स्थानीय स्तर पर क्रियाशील: UCBs विशिष्ट समुदायों के बीच कार्य करते हैं और उनके अनुरूप वित्तीय सेवाएं प्रदान करते हैं।
  • प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रक को ऋण (PSL): UCBs को अपने कुल ऋणों का 60% प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रकों के लिए निर्धारित करना अनिवार्य है।

UCBs के समक्ष चुनौतियां

  • ये कुछ राज्यों (जैसे- आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात आदि) में ही स्थापित किए गए हैं।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और राज्य सहकारी निकायों द्वारा दोहरा विनियमन।
  • लघु वित्त बैंकों (SFBs), फिनटेक (FinTechs) आदि के साथ तीव्र बाजार प्रतिस्पर्धा।
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