केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री के अनुसार भारत की जैव-अर्थव्यवस्था (Bioeconomy) आने वाले वर्षों में 300 अरब डॉलर की हो जाएगी | Current Affairs | Vision IAS
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    केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री के अनुसार भारत की जैव-अर्थव्यवस्था (Bioeconomy) आने वाले वर्षों में 300 अरब डॉलर की हो जाएगी

    Posted 11 Nov 2025

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    Article Summary

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    भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2030 तक 300 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है, जो नवाचार, नवीकरणीय संसाधनों और जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देकर संधारणीय विकास पसंद करती है।

    हाल ही में केंद्रीय मंत्री ने जैव-प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार परिषद (BRIC) के द्वितीय स्थापना दिवस को संबोधित किया। इसी दौरान उन्होंने भारत की जैव-अर्थव्यवस्था के 300 अरब डॉलर के हो जाने की संभावना व्यक्त की।  

    • इस अवसर पर उन्होंने फरीदाबाद में 200 एकड़ में फैले BRIC-बायो-एंटरप्राइज इनोवेशन पार्क की स्थापना की योजना की भी घोषणा की। 
    • गौरतलब है कि BRIC की स्थापना 2023 में हुई थी। इसे केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा 14 स्वायत्त संस्थानों को मिलाकर स्थापित किया गया है। 

    जैव-अर्थव्यवस्था (Bioeconomy) क्या है?

    • आशय: जैव-अर्थव्यवस्था वास्तव में नवीकरणीय जैव-संसाधनों का उपयोग करके खाद्य पदार्थ, ऊर्जा और औद्योगिक वस्तुओं का उत्पादन करना है। यह संधारणीयता और आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा देती है।
    • महत्त्व: यह पर्यावरण को हो रहे नुकसान जैसी चुनौतियों का संधारणीय (Sustainable) समाधान प्रदान करती है और समाज के समग्र कल्याण को बढ़ावा देती है।
    • भारत की जैव-अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति
      • तेज संवृद्धि: भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2014 में 10 अरब डॉलर की थी, जो बढ़कर 2024 में 165.7 अरब डॉलर की हो गई। 2030 तक इसके 300 अरब डॉलर का हो जाने का लक्ष्य रखा गया है।
      • अग्रणी राज्य (2024): जैव-अर्थव्यवस्था के मामले में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है, उसके बाद कर्नाटक का स्थान है। 

    भारत में जैव-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली प्रमुख पहलें

    • BioE3 नीति: BioE3 से आशय है; अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी। 2024 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस नीति को मंजूरी दी थी। 
      • इस नीति का उद्देश्य उच्च-प्रदर्शन वाले जैव-विनिर्माण को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था, पर्यावरण तथा रोजगार नामक तीन मुख्य आधारों से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करना है।
    • राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (NBM)इनोवेट इन इंडिया (i3): इसे जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) द्वारा लागू किया जा रहा है।
      • इस मिशन को विश्व बैंक भी 250 मिलियन डॉलर का वित्तपोषण प्रदान कर रहा है। 
      • यह मिशन 100 से अधिक परियोजनाओं और 30 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को सहायता प्रदान कर रहा है।
      • BIRAC के बारे में: यह भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी संस्था है। साथ ही, यह अनुसूची-B श्रेणी की एक सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था है। 
        • यह भारत सरकार के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के तहत कार्य  करती है। 
    • जैव-ऊर्जा: भारत ने 20% इथेनॉल मिश्रण (E20) का लक्ष्य मूल समय-सीमा 2030 से पाँच वर्ष पहले, 2025 में ही प्राप्त कर लिया है।
    • Tags :
    • Bioeconomy
    • Biotechnology Research and Innovation Council (BRIC)
    • 200-acre BRIC Bio-Enterprise Innovation Par
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