भारत और बोत्सवाना ने ‘चीता स्थानांतरण समझौते’ की घोषणा की | Current Affairs | Vision IAS
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    भारत और बोत्सवाना ने ‘चीता स्थानांतरण समझौते’ की घोषणा की

    Posted 13 Nov 2025

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    Article Summary

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    भारत और बोत्सवाना ने 'प्रोजेक्ट चीता' के भाग के रूप में आठ चीतों के स्थानांतरण की घोषणा की, जिसका उद्देश्य इस अग्रणी अंतरमहाद्वीपीय पहल के माध्यम से पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करना और जैव विविधता का संरक्षण करना है।

    भारत और बोत्सवाना ने ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत आठ चीतों को भारत में स्थानांतरित (Translocation) करने की औपचारिक घोषणा की है। 

    प्रोजेक्ट चीता के बारे में

    • परिचय: प्रोजेक्ट चीता वर्ष 2022 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य अफ्रीकी चीतों को भारत में लाना और इन्हें फिर से बसाना है। यह विशाल जंगली मांसाहारी जानवर का एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में स्थानांतरण का विश्व का पहला कार्यक्रम है।
      • इसके तहत 2022 में, नामीबिया से आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाया गया। इसके बाद 2023 में दक्षिण अफ्रीका से बारह चीतों को लाया गया।
    • प्रोजेक्ट कार्यान्वयन एजेंसी: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)।
      • NTCA केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत एक सांविधिक संस्था है। इसकी स्थापना वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के अंतर्गत की गई है, जिसे 2006 में संशोधित किया गया था।
    • चीता परियोजना संचालन समिति: इसका गठन NTCA द्वारा 2023 में किया गया था। यह समिति प्रोजेक्ट चीता के कार्यान्वयन की देखरेख, मूल्यांकन और आवश्यक सलाह देने से जुड़े कार्य करती है।
    • इस प्रोजेक्ट का संचालन प्रोजेक्ट टाइगर नामक मुख्य पहल के तहत किया जाता है।
      • ध्यातव्य है कि 2023-24 में प्रोजेक्ट एलीफेंट​​ को प्रोजेक्ट टाइगर में विलय करके  इसका नाम “प्रोजेक्ट टाइगर और एलीफैंट” कर दिया गया। 

    भारत में चीता को फिर से बसाने का महत्त्व

    • पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्बहाली: चीता अपने पारिस्थितिकी तंत्र की खाद्य श्रृंखला का सर्वोच्च शिकारी है। शिकार की जाने वाली प्रजातियों की संख्या को नियंत्रित रखने और घासभूमि पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र स्वास्थ्य को संरक्षित रखने में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • जैव-विविधता के संरक्षण में योगदान: चीता अपने पारिस्थितिकी तंत्र की “प्रमुख प्रजाति (Flagship species)” है क्योंकि इसके संरक्षण से उसका पूरा पर्यावास सुरक्षित रहता है। इससे उसे पर्याप्त शिकार भी मिलते हैं तथा घासभूमि और अर्ध-शुष्क पारिस्थितिकी तंत्र की अन्य संकटापन्न (Endangered) प्रजातियां भी सुरक्षित रहती हैं।

    चीते के बारे में

    • इसका वैज्ञानिक नाम एसिनोनिक्स जुबेटस वेनेटिकस (Acinonyx Jubatus Venaticus) है। 
    • यह जमीन पर विश्व का सबसे तेज धावक स्तनपायी है।
    • भारत में इसे 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। यह भारत का एकमात्र बड़ा मांसाहारी जानवर है जो विलुप्त घोषित हो चुका है।
    • अन्य बड़ी विडाल प्रजातियों (शेर, बाघ, तेंदुआ, जगुआर) के विपरीत, चीते दहाड़ते नहीं हैं।
    • चीते की दो उप-प्रजातियां एवं उनकी संरक्षण स्थिति इस प्रकार हैं:
      • अफ्रीकी चीता  IUCN लाल सूची श्रेणी: वल्नरेबल 
      • एशियाई चीता IUCN लाल सूची श्रेणी: क्रिटिकली एंडेंजर्ड।
    • एशियाई प्रजाति वर्तमान में केवल ईरान के पूर्वी शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है, जबकि अफ्रीकी प्रजाति अफ्रीका में पाई जाती है।
    • Tags :
    • Project Cheetah
    • India-Botswana Cheetah Translocation Pact
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