SAIEE भारत में हाथियों की DNA आधारित पहली गणना है। यह गणना पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’ के तत्वावधान में भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा की गई है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- इसके अनुसार एशियाई हाथियों की कुल आबादी 22,446 है। वनों में रहने वाले एशियाई हाथियों की सर्वाधिक संख्या भारत में है, जो एशियाई हाथियों की कुल वैश्विक आबादी की लगभग 60% है।
- वर्तमान में, वनों में रहने वाले हाथी मुख्य रूप से निम्नलिखित चार वन्य पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं:
- अंडमान द्वीप समूह में भी कुछ संख्या के साथ हिमालय की तलहटी, पूर्वोत्तर राज्य, पूर्व-मध्य भारत और पश्चिमी/ पूर्वी घाट।
- वनों में रहने वाले हाथियों की सर्वाधिक संख्या पश्चिमी घाट में पाई जाती है। इसके बाद पूर्वोत्तर की पहाड़ियों और ब्रह्मपुत्र के बाढ़ के मैदानों का स्थान आता है।
- अंडमान द्वीप समूह में भी कुछ संख्या के साथ हिमालय की तलहटी, पूर्वोत्तर राज्य, पूर्व-मध्य भारत और पश्चिमी/ पूर्वी घाट।
- राज्यों में एशियाई हाथियों की सर्वाधिक संख्या वाला राज्य कर्नाटक है। उसके बाद असम, तमिलनाडु और केरल का स्थान है।
- एशियाई हाथियों के समक्ष खतरे:
- घटता पर्यावास क्षेत्र और विखंडन: हाथियों की आबादी पश्चिमी घाट में सभी जगह पाई जाती थी। लेकिन वाणिज्यिक बागानों (कॉफी और चाय) के विस्तार; आक्रामक पादपों के प्रसार; कृषि भूमि पर बाड़ लगाने; मानव अतिक्रमण और तेजी से बढ़ती विकासात्मक परियोजनाओं जैसे भूमि उपयोग में बदलाव के कारण उनकी आबादी अलग-थलग हो रही है।
- मानव-हाथी संघर्ष: ये घटनाएं मध्य भारत और पूर्वी घाट में तेजी से बढ़ रही हैं।
- रैखिय अवसंरचना: सड़कें, रेलवे लाइनें और बिजली की तारें वनों में मौजूद वन गलियारों को बाधित करती हैं। इससे हाथियों को अपने प्राकृतिक रास्तों को पार करने में समस्या होती है और कई बार वे करंट लगने या ट्रेन/ वाहनों से टकराने के कारण मारे भी जाते हैं।
- सिफारिशें: इनमें वन्य गलियारों और कनेक्टिविटी को मजबूत करना, पर्यावास की पुनर्बहाली करना, संरक्षण रणनीतियों में आवश्यक सुधार करना और विकास परियोजनाओं का शमन करना आदि शामिल हैं।
एशियाई हाथी के बारे में
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