‘स्वास्थ्य और जलवायु अनुकूलन के लिए बेलेम कार्य-योजना’ ब्राजील के बेलेम में आयोजित UNFCCC-COP30 में जारी की गई। यह विशेष रूप से स्वास्थ्य पर केंद्रित पहली अंतरराष्ट्रीय जलवायु अनुकूलन पहल है।
स्वास्थ्य पर बेलेम कार्य-योजना के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- उद्देश्य: जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बेहतर तरीके से निपटने के लिए विश्व में स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना।
- यह कार्य-योजना दो प्रमुख सिद्धांतों और अवधारणाओं पर आधारित है-
- ‘स्वास्थ्य-देखभाल सुविधाओं की उपलब्धता में समानता’ और 'जलवायु न्याय', तथा
- जलवायु और स्वास्थ्य पर नेतृत्व और शासन, जिसमें सामाजिक भागीदारी भी शामिल है।
- इसमें जलवायु संकट-रोधी स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए तीन कार्य-क्षेत्रों का उल्लेख है:
- पर्यवेक्षण और निगरानी: जलवायु डेटा और विश्लेषण पर आधारित पूर्व-चेतावनी प्रणालियां और एकीकृत डेटा प्लेटफ़ॉर्म।
- साक्ष्य-आधारित नीति और क्षमता निर्माण: इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े कार्यबल का कौशल विकास,
- महिला व पुरुष की विशेष आवश्यकताओं का ध्यान रखने वाली और समानता सुनिश्चित करने वाली स्वास्थ्य नीतियां,
- मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक सहायता का एकीकरण, आदि।
- नवाचार और उत्पादन: इसमें आपदा-रोधी अवसंरचना, न्यायसंगत परिवर्तन (जस्ट ट्रांजीशन), सतत आपूर्ति श्रृंखलाएं, तथा निवेश पर लाभ जैसी रूपरेखाओं पर ध्यान देना शामिल हैं।
- वित्तपोषण: क्लाइमेट एंड हेल्थ फंडर्स कोएलिशन के तहत लगभग 35 परोपकारी संस्थाओं ने कार्य-योजना के क्रियान्वयन के लिए प्रारंभ में 300 मिलियन डॉलर देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
जलवायु अनुकूल स्वास्थ्य देखभाल कार्य-योजना की आवश्यकता क्यों है?
- जलवायु परिवर्तन की वजह से पहले ही विश्व में स्वास्थ्य विपदाएं देखी जा रही हैं। एक अनुमान के अनुसार अत्यधिक गर्मी की वजह से हर वर्ष 5.4 लाख से अधिक लोग मर रहे हैं।
- विश्व भर में हर 12 में 1 अस्पताल जलवायु आपदाओं की वजह से बंद होने के खतरे का सामना कर रहा है।
- 3.3 से 3.6 अरब लोग पहले से ही जलवायु परिवर्तन के खतरे वाले क्षेत्रों में रह रहे हैं।
- अस्पतालों को चरम मौसम जनित घटनाओं से 41% अधिक नुकसान का खतरा है।