इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने DPDP नियम, 2025 (इन्फोग्राफिक देखें) अधिसूचित किए हैं। इससे DPDP अधिनियम, 2023 पूर्ण रूप से प्रवर्तित हो जाएगा।
- ये नियम उच्चतम न्यायालय के 2017 के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ वाद निर्णय के अनुपालन में एक महत्वपूर्ण कदम है। उल्लेखनीय है कि इसी वाद में उच्चतम न्यायालय ने निजता के अधिकार को मूल अधिकार के रूप में मान्यता दी थी।
DPDP अधिनियम, 2023 के बारे में
- यह डिजिटल व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए एक व्यापक ढांचा स्थापित करता है। इसमें ऐसे डेटा का प्रबंधन करने वाली संस्थाओं (डेटा फिड्यूशरी) के दायित्वों और व्यक्तियों (डेटा प्रिंसिपल्स या स्वामी) के अधिकारों एवं कर्तव्यों को निर्धारित किया गया है।
- दायरा:
- यह अधिनियम डिजिटल व्यक्तिगत डेटा की प्रोसेसिंग को विनियमित करता है, भले ही वह डेटा भारत में कहीं भी एकत्र किया गया हो। वह डेटा डिजिटल रूप में हो सकता है; गैर-डिजिटल रूप में हो सकता है या बाद में डिजिटाइज़्ड किया गया हो सकता है।
- भारत के बाहर व्यक्तिगत डेटा की प्रोसेसिंग को भी विनियमित करता है, यदि वह डेटा भारत में वस्तुओं या सेवाओं की पेशकश से संबंधित है।
- डेटा फिड्यूशरी या वैश्वासिक (Data Fiduciaries) के दायित्व:
- उपयोगकर्ता सहमति: व्यक्तिगत डेटा को संबंधित व्यक्ति की सहमति प्राप्त करने के बाद ही प्रोसेस किया जा सकता है।
- बच्चों/ दिव्यांग व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा की प्रोसेसिंग: इसमें माता-पिता या कानूनी अभिभावक की सत्यापन योग्य सहमति अनिवार्य है।
- प्रवर्तन: डेटा संरक्षण बोर्ड (DPB) को व्यक्तिगत डेटा उल्लंघन की शिकायतों की जांच के लिए दीवानी अदालत की शक्तियां प्राप्त होंगी।
DPDP नियम, 2025 के मुख्य उपबंधों पर एक नजर
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