अंटार्कटिक पर ओज़ोन छिद्र अंटार्कटिका के ऊपर समताप मंडल में ओज़ोन परत के गंभीर रूप से पतले होने की मौसमी परिघटना है। यह परिघटना दक्षिणी गोलार्ध की वसंत ऋतु के दौरान, मुख्य रूप से अगस्त से नवंबर माह के बीच घटित होती है।
- 2025 में, इसका विस्तार केवल 21 मिलियन वर्ग किमी से अधिक था, जो 2006 के रिकॉर्ड (29 मिलियन वर्ग किमी) से काफी कम है।
- समतापमंडलीय ओज़ोन (गुड ओज़ोन) पृथ्वी की सतह से 10-40 किमी ऊपर पाई जाती है। यह पृथ्वी को सूर्य से आने वाली खतरनाक पराबैंगनी (UV) विकिरणों से बचाती है।
अंटार्कटिका में ओज़ोन छिद्र/ ओज़ोन परत के क्षरण के लिए जिम्मेदार कारक
- ओज़ोन क्षयकारी पदार्थों (ODS) का उत्सर्जन: क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs), हैलोन, हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs), और मिथाइल ब्रोमाइड जैसे पदार्थों का उत्सर्जन समताप मंडल तक पहुंचता है।
- UV विकिरण इन पदार्थों को तोड़कर क्लोरीन और ब्रोमीन परमाणुओं को मुक्त करती है, जो तेज़ी से ओज़ोन को नष्ट करने लगते हैं।
- मौसम संबंधी कारक:
- ध्रुवीय भंवर (Polar Vortex) वायु को फंसा लेता है और रसायनों को केंद्रित करता है।
- अत्यधिक ठंड ध्रुवीय समतापमंडलीय बादलों का निर्माण करती है, जो ओज़ोन को नष्ट करने वाली अभिक्रियाओं को तीव्र करते हैं।
- सौर प्रकाश की वापसी: वसंत ऋतु (सितंबर और अक्टूबर) में इस क्षेत्र में सूर्य का प्रकाश वापस आने लगता है। यह ओज़ोन को नष्ट करने वाली उत्प्रेरक अभिक्रियाओं के संपन्न होने के लिए ऊर्जा प्रदान करती है।
ओज़ोन परत के क्षरण के प्रभाव
- स्वास्थ्य जोखिम: सतह तक पहुंचने वाली हानिकारक UV-B विकिरण में वृद्धि से त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद, और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली की घटनाएं बढ़ने लगती हैं।
- पारिस्थितिकी-तंत्र को क्षति: पादप उत्पादकता में कमी और समुद्री खाद्य श्रृंखलाओं का विघटन।
ओज़ोन परत की सुरक्षा के लिए प्रमुख संधियां और तंत्र
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