FAO की इस रिपोर्ट में खाद्य उत्पादन में आपदा-जनित बाधाओं का उल्लेख किया गया है। साथ ही, इसमें कृषि क्षेत्रक में आपदा से जुड़े जोखिमों को कम करने में डिजिटल-परिवर्तन को एक “गेम-चेंजर” के रूप में पहचान की गई है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- वित्तीय नुकसान: 1991–2023 के 33 वर्षों में आपदाओं ने कृषि क्षेत्रक में लगभग 3.26 ट्रिलियन डॉलर की हानि पहुंचाई है। इसमें अनाज की फसलों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
- कृषि उत्पादन के उच्च स्तर के साथ-साथ बाढ़, तूफान जैसी आपदाओं के अधिक जोखिमों के कारण, एशिया में सबसे अधिक 47% नुकसान हुआ है।
- पोषण की उपलब्धता में कमी: आपदाओं के कारण वैश्विक स्तर पर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन लगभग 320 किलो कैलोरी की उपलब्धता कम हो गई है।
- आजीविका पर प्रभाव: 1985 से 2022 के बीच समुद्री हीट-वेव्स के कारण 6.6 बिलियन डॉलर की हानि हुई। इस परिघटना की वजह से 15% वैश्विक मत्स्य संसाधनों पर असर पड़ा और उन पर निर्भर आबादी की आजीविका भी प्रभावित हुई है।
कृषि में प्रौद्योगिकी की प्रमुख भूमिका
- कृषि-खाद्य प्रणाली को आपदा-रोधी बनाने में योगदान: डेटा प्लेटफ़ॉर्म वास्तव में अवसरंचनाओं की कमी से जुड़ी समस्या को दूर करते हैं। इससे आपदाओं से हुए नुकसान का समग्र बोझ किसी एक पर नहीं पड़ता और समय पर इसकी क्षतिपूर्ति मिल जाती है।
- जैसे कि बीमा या सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिलना।
- आपदा के बाद प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई की बजाय आपदा से होने वाले जोखिमों को कम करने की नीति: पूर्व-चेतावनी प्रणालियां रियल टाइम आधार पर और कार्रवाई योग्य सूचना उपलब्ध कराती हैं। इससे आपदाओं से जन और धन के नुकसान को कम करने में सहायता मिलती है।
- इसका एक उदाहरण है; वैश्विक सूचना और पूर्व-चेतावनी प्रणाली (Global Information and Early Warning System: GIEWS)।
- प्रौद्योगिकी के आर्थिक लाभ: भारत में कृषि-मौसम संबंधी सलाहकार सेवाओं से किसानों को गेहूं उत्पादन में प्रति हेक्टेयर 29.65 डॉलर की इनपुट लागत में कमी का लाभ मिला।
भारत में कृषि में प्रौद्योगिकी का उपयोग
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