अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत के राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी (NAS) और मुद्रास्फीति डेटा को दूसरा-सबसे कम 'C' ग्रेड दिया | Current Affairs | Vision IAS
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आईएमएफ ने भारत के राष्ट्रीय खातों और मुद्रास्फीति के आंकड़ों को दूसरे सबसे निचले स्तर 'सी' का दर्जा दिया है, जिसमें पुराने आधार वर्ष, अद्यतन स्रोतों की कमी और पद्धतिगत मुद्दों का हवाला दिया गया है, जो सटीक आर्थिक निगरानी और विश्लेषण में बाधा डालते हैं।

In Summary

IMF की ग्रेडिंग को निम्नलिखित चार ग्रेड्स में विभाजित किया गया है:

  • A: प्रदान किया गया डेटा निगरानी के लिए पर्याप्त है।
  • B: डेटा में कुछ कमियां हैं, लेकिन यह निगरानी के लिए मोटे तौर पर पर्याप्त है।
  • C: डेटा में कुछ कमियां हैं, जो निगरानी में कुछ हद तक बाधा डालती हैं।
  • D: डेटा में गंभीर कमियां हैं, जो निगरानी में काफी बाधा डालती हैं।

IMF द्वारा रेखांकित किए गए मुख्य मुद्दे

  • जीडीपी गणना के लिए पुराना आधार वर्ष (2011-12): यह वर्तमान उत्पादन तकनीकों और उपयोगकर्ता की प्राथमिकताओं को दर्शाने में विफल रहता है। इससे आर्थिक गतिविधियों का अधिक या कम अनुमान हो सकता है।
  • अपडेटेड डेटा स्रोतों का उपयोग करने की आवश्यकता: उदाहरण के लिए- अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तनों को बेहतर ढंग से जानने के लिए घरेलू उपभोग और व्यय सर्वेक्षण (HCES), आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) आदि।
  • मौसमी रूप से समायोजित डेटा का अभाव: राष्ट्रीय लेखा को मौसमी रूप से समायोजित नहीं किया जाता है। इससे अल्पावधि तिमाही गतिविधियों की व्याख्या करना कठिन हो जाता है।
  • तिमाही राष्ट्रीय लेखा डेटा में पुरानी सांख्यिकीय तकनीकें।
  • उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI) का अभाव: एकल अपस्फीति यानी थोक मूल्य सूचकांक (WPI) का अत्यधिक उपयोग चक्रीयता संबंधी पूर्वाग्रह पैदा कर सकता है।
  • CPI के पुराने घटक: IMF ने बताया कि वर्तमान CPI आधार वर्ष, मदों की टोकरी और भारांश (2011/12) पुराने हो चुके हैं।

IMF की सिफारिशें

  • आगे बढ़ते हुए, अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुसार राष्ट्रीय लेखा, मूल्य और अन्य प्रमुख आंकड़ों के नियमित मानक संशोधन किए जाने चाहिए।

अर्थव्यवस्था के प्रमुख सांख्यिकीय संकेतक

संकेतकपरिभाषा
  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP):

एक वर्ष में किसी देश की सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य।

  • सकल मूल्य वर्धित (GVA):

यह उत्पादन के मूल्य में से मध्यवर्ती उपभोग के मूल्य को घटाने पर प्राप्त होता है। यह वह मूल्य है, जो उत्पादकों ने वस्तुओं और सेवाओं में जोड़ा है।

  • थोक मूल्य सूचकांक (WPI):

यह थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में औसत परिवर्तन को मापता है। इसमें मुख्य रूप से वस्तुएं शामिल हैं, सेवाएं नहीं।

  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI):

यह परिवारों द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में औसत परिवर्तन को मापता है।

  • उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI):

यह घरेलू उत्पादकों द्वारा प्राप्त बिक्री मूल्यों में औसत परिवर्तन को मापता है। यह उत्पादक या फैक्ट्री गेट स्तर पर मुद्रास्फीति को कैप्चर करता है।

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