अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में निजी संस्थाओं की बढ़ती भागीदारी का उदाहरण देते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि सरकार नागरिक (सिविल) परमाणु क्षेत्र को भी निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए खोलने की दिशा में कार्य कर रही है।
- परमाणु क्षेत्रक के निजीकरण से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होंगे:
- निजी क्षेत्र से निवेश बढ़ेगा;
- स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) के विनिर्माण में तेजी आएगी;
- नवाचार को बढ़ावा मिलेगा;
- विद्युत ग्रिड में स्थिरता सुनिश्चित होगी;
- ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी, और
- देश में विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा।
भारत में नागरिक (सिविल) परमाणु क्षेत्रक की वर्तमान स्थिति
- सरकार का पूर्ण नियंत्रण: भारत में परमाणु ऊर्जा मुख्यतः भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के नियंत्रण में है।
- वर्तमान में भारत के 25 परमाणु ऊर्जा रिएक्टर्स हैं। ये सभी रिएक्टर्स सरकार के स्वामित्व वाली न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) द्वारा संचालित किए जाते हैं।
- इन रिएक्टर्स की कुल स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता केवल 8.8 गीगावाट (8880 मेगावाट) है।
- भारत के कुल विद्युत उत्पादन में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी 2% है।
- लक्ष्य: केंद्र सरकार ने वर्ष 2032 तक 22 गीगावाट और 2047 तक 100 गीगावाट की परमाणु ऊर्जा विद्युत उत्पादन क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
- परमाणु ऊर्जा से संबंधित मुख्य कानून: परमाणु ऊर्जा अधिनियम (AEA), 1962 और परमाणुवीय नुकसान के लिए सिविल दायित्व अधिनियम (CLNDA) 2010।
- वर्तमान में, परमाणु ऊर्जा अधिनियम के तहत परमाणु ऊर्जा उत्पादन में निजी क्षेत्र के साथ-साथ राज्य सरकारों की भागीदारी पर प्रतिबंध है।
- CLNDA कानून परमाणु दुर्घटना की स्थिति में पीड़ितों की क्षतिपूर्ति के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
- परमाणु ऊर्जा रिएक्टर में दुर्घटना से होने वाले नुकसान की स्थिति में इस कानून के तहत ऑपरेटर द्वारा अधिकतम 1,500 करोड़ रुपये तक का भुगतान करने का प्रावधान है।
परमाणु ऊर्जा क्षेत्रक में निजी क्षेत्र की भागीदारी की चुनौतियां
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