यह पोत समुद्री-उपयोग के लिए विकसित हाइड्रोजन फ्यूल-सेल प्रणाली पर संचालित होता है। इसमें पूरी तरह स्वदेशी ‘लो टेम्परेचर-प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (LT-PEM)’ फ्यूल सेल का उपयोग किया गया है।
प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन फ्यूल सेल (PEMFC) के बारे में
- यह हाइड्रोजन का दहन किए बिना, केवल एक मेम्ब्रेन की मदद से विद्युत उत्पन्न करता है।
- इसकी कार्य-प्रणाली एक विद्युत-रासायनिक अभिक्रिया (Electrochemical reaction) पर आधारित है।
- इस कार्य-प्रणाली के तहत, हाइड्रोजन एनोड में प्रवेश करता है, जहाँ एक उत्प्रेरक उसे प्रोटॉन्स (H⁺) और इलेक्ट्रॉन्स (e⁻) में विभाजित करता है।
- प्रोटॉन्स, प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन से होकर गुजर जाते हैं, लेकिन इलेक्ट्रॉन नहीं गुजर पाते।
- इलेक्ट्रॉन बाह्य सर्किट से होकर प्रवाहित होते हैं, जिससे विद्युत उत्पन्न होती है।
- प्रोटॉन्स कैथोड तक पहुँचते हैं, जहाँ वायु से ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाती है।
- ‘प्रोटॉन + इलेक्ट्रॉन + ऑक्सीजन’ कैथोड पर संयोजित होकर जल और आंशिक मात्रा में ऊष्मा बनाते हैं।
PEMFC के लाभ
- शून्य उत्सर्जन: इस पूरी प्रक्रिया में उप-उत्पाद (Byproduct) के रूप में केवल जल निर्मुक्त होता है।
- यह फ्यूल सेल उच्च विद्युत घनत्व उत्पन्न करता है। साथ ही, अन्य फ्यूल सेल्स की तुलना में यह कम-वजनी और कम आयतन वाला फ्यूल सेल है।
- तेजी से संचालन: यह कम तापमान पर कार्य करता है, इसलिए कम समय में संचालित होने लगता है। यह विशेषता इसे दैनिक परिवहन साधनों के लिए उपयुक्त बनाती है।
- शोर-रहित: इसमें कोई गतिशील पार्ट्स नहीं होते, इसलिए शांतिपूर्ण और शोर-रहित परिवहन की सुविधा देता है।
- उच्च दक्षता: यह हाइड्रोजन को सीधे विद्युत में बदलता है। इसलिए अन्य दहन इंजनों (Combustion engines) की तुलना में यह अधिक उपयोगी और प्रभावी है।
कुछ प्रमुख चुनौतियां
- इसमें लगाने वाले पदार्थों की उच्च लागत: विशेषकर प्लैटिनम जैसे महंगे उत्प्रेरक पदार्थ के उपयोग की वजह से इस प्रौद्योगिकी की लागत अधिक हो जाती है।
- स्वच्छ हाइड्रोजन की उपलब्धता: स्वच्छ हाइड्रोजन उत्पादन में अधिक ऊर्जा की खपत हो सकती है।
- अधिक समय तक उपयोग में रहने से जुड़ी चिंता: उच्च दबाव की स्थितियों में समय के साथ प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन का क्षरण (degradation) हो सकता है।
