भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर वार्ता
भारत अमेरिका से यह आश्वासन चाह रहा है कि द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को अंतिम रूप दिए जाने के बाद कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाया जाएगा।
मुख्य चिंताएं और आवश्यकताएं
- टैरिफ में स्थिरता: भारत यह आश्वासन चाहता है कि एक बार टैरिफ पर सहमति हो जाने के बाद उसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा।
- श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए रियायतें: भारत ने चमड़ा और वस्त्र जैसे क्षेत्रकों के लिए रियायतों का अनुरोध किया है।
- पुनः वार्ता की शर्तें: भारत टैरिफ बढ़ाए जाने पर पुनः वार्ता करने या मुआवजा प्राप्त करने के लिए एक तंत्र चाहता है।
वर्तमान अमेरिकी टैरिफ से संबंधित मुद्दे
- 26% रेसीप्रोकल टैरिफ: 2 अप्रैल को घोषित, 9 जुलाई तक 90 दिनों के लिए स्थगित, लेकिन 10% का बेसलाइन टैरिफ बना रहेगा।
- इस्पात, एल्युमीनियम और ऑटो पर टैरिफ का प्रभाव: भारत इन क्षेत्रों पर 50% टैरिफ के प्रभाव की निगरानी कर रहा है।
वार्ता की रणनीतियाँ
- अधिमान्य व्यापार लाभ: भारत ने यह निर्णय अमेरिका पर छोड़ दिया है कि वह अपने टैरिफ अवरोधों को कैसे कम करेगा।
- क्लॉबैक प्रावधान: यदि अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है या प्रतिबद्धताओं से मुकरता है तो भारत को लाभ वापस लेने में सक्षम होना चाहिए।
प्रगति और भविष्य के लक्ष्य
- प्रारंभिक समझौता: 9 जुलाई तक प्रारंभिक समझौता संपन्न करने के लिए चर्चाएं चल रही हैं।
- व्यापार विस्तार का लक्ष्य: दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है।
सावधानियाँ और विशेषज्ञों की राय
- अधूरे व्यापार सौदे: ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप जैसे सौदों के मामले में अमेरिका के इतिहास को देखते हुए सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
- अनिश्चित प्रतिबद्धताएँ: हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।