अभ्यास सियोम प्रहार
भारतीय थल सेना ने 8 से 10 सितंबर, 2025 तक सफलतापूर्वक अभ्यास सियोम प्रहार का आयोजन किया, जिसमें सामरिक अभियानों में ड्रोन प्रौद्योगिकी के एकीकरण और सत्यापन पर ध्यान केंद्रित किया गया।
उद्देश्य और दायरा
- यथार्थवादी युद्धक्षेत्र स्थितियों के तहत आयोजित किया गया।
- इसका उद्देश्य मानवरहित हवाई प्रणालियों के एकीकरण के माध्यम से परिचालन तैयारियां करना है।
प्रमुख फोकस क्षेत्र
- निगरानी: युद्धक्षेत्र की स्थितियों की निरंतर निगरानी।
- टोही: खुफिया जानकारी एकत्र करना और लक्ष्य प्राप्त करना।
- सटीक हमले: युद्ध प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए सटीक निशाना लगाने हेतु ड्रोन का उपयोग करना।
रणनीतियाँ, तकनीकें और प्रक्रियाएँ
- भविष्य के युद्धक्षेत्रों के लिए नई विधियों का विकास और सत्यापन।
- पारंपरिक मारक क्षमता के साथ ड्रोन खुफिया जानकारी का एकीकरण।
- संयुक्त लक्ष्यीकरण प्रक्रियाओं का परिशोधन और त्वरित निर्णय लेना।
परिणाम और महत्व
- परिचालन एकीकरण और बल गुणन के लिए पाठ।
- पारंपरिक युद्ध हथियारों और नई प्रौद्योगिकियों के बीच अनुकूलनशीलता और तालमेल पर प्रकाश डालना।
- परिचालन श्रेष्ठता के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के सेना के संकल्प को प्रदर्शित करना।
कुल मिलाकर, अभ्यास सियोम प्रहार आधुनिक युद्ध के प्रति भारतीय थल सेना के सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाता है, तथा भविष्य की तैयारी और तकनीकी अनुकूलन पर जोर देता है।