भारत के सामरिक सैन्य सुधार
वैश्विक युद्ध के बदलते प्रतिमानों के साथ, भारत अपने सैन्य ढांचे को नए सिरे से ढाल रहा है ताकि विरोधियों द्वारा उत्पन्न गंभीर चुनौतियों का सामना किया जा सके। इसमें दो मोर्चों पर खतरे से निपटने के साथ-साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) , स्वचालन , ड्रोन और सस्ते सटीक हथियारों जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाना शामिल है।
सुधार के प्रमुख क्षेत्र
- एकीकरण और संयुक्तता
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेवा साइलो से एकीकृत थिएटर कमान की ओर बढ़ने पर जोर दिया।
- संयुक्त अभियानों को सशक्त बनाने के लिए अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) नियम, 2025 की समीक्षा।
- व्यावसायिक सैन्य शिक्षा (PME)
- संयुक्त PME ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यद्यपि वर्तमान आवश्यकताओं की तुलना में प्रगति धीमी है।
- नई युद्ध संरचनाएँ
- “रुद्र” और “भैरव” जैसी इकाइयाँ लचीली तैनाती के लिए विभिन्न सैन्य घटकों को जोड़ती हैं।
- उभयचर और एकीकृत संचालन
- समुद्री, वायु और थल सेनाओं को एकीकृत करने के लिए उभयचर अभियानों के लिए संयुक्त सिद्धांत का प्रकटीकरण।
तकनीकी प्रगति और खरीद
- एमक्यू-9B ड्रोन खुफिया जानकारी, निगरानी, टोही (ISR) और सटीक हमलों को बढ़ाते हैं।
- राफेल-M ऑर्डर से समुद्री परिचालन के लिए वाहक विमानन को स्थिरता मिलेगी।
- आकाशतीर AI-सक्षम कमांड नेटवर्क संयुक्त कमांड और नियंत्रण के लिए वायु सेना के साथ एकीकृत होता है।
भविष्य के कदम और सिफारिशें
- विशिष्ट टकरावों के लिए अनुकूलित त्वरित तैनाती क्षमताओं वाले एकीकृत युद्ध समूह।
- प्रलय सेमी-बैलिस्टिक मिसाइल जैसी सामरिक मिसाइलें भूमि-आधारित थिएटर फायर को मजबूत करती हैं।
- राफेल-M द्वारा समर्थित वाहक-केन्द्रित समुद्री रुख और 15-वर्षीय क्षमता रोडमैप।
- सैन्य शिक्षा और अभ्यास में प्रौद्योगिकी और प्रोटोटाइपिंग को शामिल करने के लिए नागरिक-सैन्य संलयन महत्वपूर्ण है।
भारत अपनी सैन्य शक्ति को एकीकरण और सीखने में, साझा डेटा मानकों और इंटरफ़ेस प्रोटोकॉल के साथ संयुक्तता स्थापित करने में, मज़बूत करना चाहता है। इसके लिए अंतर-सेवा मतभेदों को दूर करना, थिएटर कमांड अपनाना और तकनीकी कमांडरों को क्षेत्रीय अभ्यासों में शामिल करना आवश्यक है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और निजी उद्योग सहित सैन्य और नागरिक क्षेत्रों के बीच सहयोग, अनुकूल युद्धक्षेत्र गतिशीलता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।