भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के भाषण के मुख्य बिंदु
17 सितंबर, 2025 को प्रथम प्रोफेसर एनआर माधव मेनन स्मारक व्याख्यान के दौरान, भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने हाशिए पर रहने वाले समूहों के लिए न्याय और कानूनी शिक्षा तक पहुँचने में महत्वपूर्ण बाधाओं पर प्रकाश डाला।
न्याय तक पहुँचने में बाधाएँ
- भौगोलिक बाधाएँ:
- दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रायः निकटवर्ती न्यायालयों या विधि विद्यालयों का अभाव होता है, जिससे न्याय में काफी अंतर पैदा हो जाता है।
- आर्थिक बाधाएँ:
- आर्थिक विपन्नता कानूनी सेवाओं और शिक्षा तक पहुंच को सीमित करती है, जिससे हाशिए पर बने रहने की स्थिति बनी रहती है।
- भाषाई बाधाएँ:
- कानूनी कार्यवाही और शिक्षा अक्सर ऐसी भाषाओं में संचालित की जाती है जिनसे जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा परिचित नहीं होता, जिससे अलगाव पैदा होता है।
भारत में कानूनी शिक्षा और न्याय का भविष्य
- 2047 के लिए विजन:
- न्याय में करुणा और विवेक: न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कानूनी कार्यवाही में करुणा को शामिल करने के महत्व पर जोर दिया, भले ही प्रौद्योगिकी समय-निर्धारण और मिसाल कायम करने में सहायक हो।
- भाषा दक्षता: भविष्य के वकीलों को कानून की भाषा और जनता की भाषा दोनों में निपुण होना चाहिए।
- कानूनी शिक्षा की पुनर्कल्पना: क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना, कानूनी सहायता को बढ़ाना, तथा पहली पीढ़ी के शिक्षार्थियों के लिए सहायता स्थापित करना।