भारतीय सांख्यिकी संस्थान विधेयक, 2025 का मसौदा
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान विधेयक, 2025 का मसौदा जारी किया है, जिसका भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) के शिक्षाविदों और छात्रों ने कड़ा विरोध किया है। उनका तर्क है कि इस विधेयक का उद्देश्य संस्थान को एक "पंजीकृत संस्था से एक वैधानिक निगमित निकाय" में बदलकर उसकी शैक्षणिक स्वायत्तता को कमज़ोर करना है।
भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की पृष्ठभूमि
- संस्थापक एवं स्थापना: इसकी स्थापना दिसंबर 1931 में पी.सी. महालनोबिस द्वारा कोलकाता में की गई थी।
- पंजीकरण: यह पहले सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत और बाद में पश्चिम बंगाल सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1961 के तहत पंजीकृत हुआ।
- राष्ट्रीय महत्व का संस्थान (INI): इसे भारतीय सांख्यिकी संस्थान अधिनियम, 1959 द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (INI) के रूप में घोषित किया गया था।
- राष्ट्रीय विकास में भूमिका: इसने राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) के विकास सहित भारत के योजना एवं नीति तंत्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- विख्यात विद्वान: यह प्रोफेसर सी.आर. राव और एस.आर.एस. वरधान जैसे महान विद्वानों को तैयार करने के लिए प्रसिद्ध है।
- शैक्षणिक विस्तार: यह भारत में अपने छह केंद्रों पर लगभग 1,200 छात्रों को विभिन्न स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्रियाँ प्रदान करता है।
मसौदा विधेयक के संबंध में मुख्य चिंताएँ
- वैधानिक परिवर्तन: ISI का "पंजीकृत सोसायटी से एक सांविधिक निगमित निकाय" में परिवर्तन एक प्रमुख चिंता है, क्योंकि यह इसके मौलिक चरित्र को बदल देगा।
- पारदर्शिता और विरोध: लगभग 1,500 शिक्षाविदों ने विरोध व्यक्त किया है, जिसमें 1959 के अधिनियम को निरस्त करने में पारदर्शिता की कमी को उजागर किया गया है।
- सहकारी संघवाद का उल्लंघन: यह विधेयक सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करने और सहकारी संघवाद की भावना के विपरीत माना जाता है।
- शासन संरचना: प्रस्तावित शासन संरचना में सरकारी नामितों को अत्यधिक प्राथमिकता दी गई है, जिससे संकाय और शैक्षणिक हितधारकों का प्रभाव सीमित हो जाएगा।
- कॉर्पोरेट फंडिंग मॉडल: प्रारूप विधेयक में कॉर्पोरेट फंडिंग मॉडल पर ज़ोर देने के कारण मूलभूत अनुसंधान (Basic Research) के लिए वित्तपोषण की कमी होने की आशंका है।
- राजनीतिक हस्तक्षेप की आशंका: बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (BoG) के माध्यम से केंद्र सरकार सभी नियुक्तियों को नियंत्रित करेगी, जिससे राजनीतिक हस्तक्षेप की संभावना बढ़ जाएगी।
सरकार का दृष्टिकोण और विरोध
- शताब्दी लक्ष्य: सरकार का लक्ष्य 2031 में अपनी शताब्दी के करीब पहुँचते हुए ISI की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है।
- समीक्षा समितियाँ: चार समीक्षा समितियों ने ISI की जाँच की है, जिनमें नवीनतम डॉ. आर.ए. माशेलकर की अध्यक्षता में 2020 में गठित की गई थी, जिसने सुधारों की सिफारिश की थी।
- विपक्षी दलों का रुख: विपक्षी दल इस कानून का विरोध कर रहे हैं।