लोकसभा में विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 का परिचय:
केंद्रीय कृषि मंत्री, शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 (VB-G RAM G) पेश किया। इस विधेयक का उद्देश्य मनरेगा (MGNREGA) को निरस्त करना और महात्मा गांधी के दृष्टिकोण के अनुरूप 'राम राज्य' की स्थापना करना है।
विपक्ष की चिंताएँ
- द्रमुक (DMK), कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) सहित विपक्षी दलों ने लोकसभा प्रक्रियाओं के नियम 72(1) के तहत विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया।
- द्रमुक सदस्य टी.आर. बालू ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे महात्मा गांधी के आदर्शों का उपहास बताया और गरीबों को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करने में मनरेगा की सफलता का उल्लेख किया।
- कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने गांधी का नाम हटाने पर आपत्ति जताई और नए विधेयक के तहत रोजगार अधिकारों के कमजोर होने पर प्रकाश डाला।
- वित्तीय चिंताएं: विधेयक में केंद्र सरकार के निधि योगदान को 90% से घटाकर 60% करने का प्रस्ताव है, जिससे राज्य के वित्त पर असर पड़ेगा।
- कांग्रेस के के.सी. वेणुगोपाल ने विधेयक को संविधान और राजकोषीय संघवाद पर हमला बताया।
- सुप्रिया सुले (NCP) और सौगत राय (TMC) ने गांधी का नाम हटाने का विरोध करते हुए इसे स्थायी समिति द्वारा जांच कराने की मांग की।
- शशि थरूर ने विधेयक की आलोचना करते हुए इसे मनरेगा के दार्शनिक आधार और ऐतिहासिक वैधता पर "प्रहार" बताया।
सरकार का औचित्य
- रोजगार के दिनों में वृद्धि: चौहान ने मनरेगा के 100 दिनों की तुलना में 125 दिनों के गारंटीकृत रोजगार के प्रावधान पर बल दिया।
- गांवों का सर्वांगीण विकास: इसका उद्देश्य ग्राम विकास के लिए महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दृष्टिकोण का अनुसरण करना है।
- बजट वितरण: अल्पविकास की समस्या को दूर करने के लिए पंचायतों को समान बजट वितरण हेतु श्रेणीबद्ध करने का प्रस्ताव है।
- गांधी के आदर्शों के प्रति सम्मान: चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि यह विधेयक पिछड़े और सबसे गरीब लोगों के कल्याण के संबंध में गांधी के सिद्धांतों के अनुरूप है।
निष्कर्ष
VB-G RAM G विधेयक को पेश किए जाने से तीव्र विरोध शुरू हो गया है, जिसमें वित्तीय भार के स्थानांतरण और महात्मा गांधी के नाम को प्रतीकात्मक रूप से हटाने पर चिंता जताई गई है।
सरकार ने इस विधेयक का बचाव करते हुए इसे ग्रामीण विकास और रोजगार को बढ़ाने का प्रयास बताया है और 'राम राज्य' के गांधीवादी दृष्टिकोण को बनाए रखने का वादा किया है।