भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) का कायाकल्प
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ₹80 ट्रिलियन के घरेलू म्यूचुअल फंड (MF) उद्योग के लागत ढांचे में सुधार किया है। इसका उद्देश्य परिसंपत्ति प्रबंधकों के हितों का ध्यान रखते हुए निवेशकों के लिए पारदर्शिता बढ़ाना है। यह नया ढांचा 1 अप्रैल से प्रभावी होगा।
बेस एक्सपेंस रेशियो (BER) की शुरुआत
- BER वह शुल्क है जो एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) प्रबंधन सेवाओं के लिए लेती है।
- BER में ब्रोकरेज, सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT), स्टांप ड्यूटी और एक्सचेंज फीस जैसी 'पास-थ्रू' लागतें शामिल नहीं हैं; इन्हें अलग से दिखाया जाएगा।
- BER स्कीम की श्रेणी और आकार (Corpus) के अनुसार अलग-अलग होगा:
- ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम के लिए: ₹500 करोड़ तक की संपत्ति पर 2.10% से लेकर ₹50,000 करोड़ से अधिक की संपत्ति पर 0.95% तक।
- नॉन-इक्विटी स्कीम के लिए: समान संपत्ति स्लैब के लिए 1.85% से 0.70% तक।
- क्लोज-एंडेड योजनाओं के लिए BER कम किया गया है; AMC ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कम BER भी ले सकती हैं।
नियामकीय परिवर्तन और निर्णय
- सेबी ने रिसर्च और ब्रोकिंग शुल्कों को अलग-अलग नहीं किया, क्योंकि यूरोप में ऐसा ही एक मॉडल विफल रहा था।
- ब्रोकरेज कैप को तर्कसंगत बनाया गया:
- कैश मार्केट ट्रांजैक्शन पर ब्रोकरेज की सीमा 8.59 बेसिस पॉइंट (bps) से घटाकर 6 bps कर दी गई।
- डेरिवेटिव्स (Derivatives) ब्रोकरेज कैप 3.89 bps से घटाकर 2 bps कर दी गई।
- नियमों को सरल बनाने के लिए म्यूचुअल फंड और स्टॉक ब्रोकर नियमों में सुधार किया गया।
- गोपनीयता की चिंताओं के कारण हितों के टकराव के खुलासे पर निर्णय टाल दिया गया।
IPO सुधार और निवेशक प्रोत्साहन
- IPO चरण में लॉक-इन या गिरवी रखे गए शेयरों के प्रबंधन के लिए नया ढांचा।
- QR कोड और संक्षिप्त प्रॉस्पेक्टस के साथ रिटेल निवेशकों के लिए आसान IPO खुलासे।
- ऋण प्रतिभूतियों के सार्वजनिक निर्गम में खुदरा निवेशकों के लिए प्रोत्साहन।
- उच्च-मूल्य वाली ऋण-सूचीबद्ध संस्थाओं (HVDLEs) के लिए सीमा ₹1,000 करोड़ से बढ़ाकर ₹5,000 करोड़ कर दी गई, जिससे कॉर्पोरेट बॉन्ड जारी करना आसान हो गया।
- क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को गैर-सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों और अधिक वित्तीय साधनों को रेटिंग देने की अनुमति दी गई।
अतिरिक्त सुधार
- भौतिक रूप में धारित प्रतिभूतियों के हस्तांतरण के लिए छूट।
- कर्मचारियों की चिंताओं के कारण हितों के टकराव से संबंधित खुलासों पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
सेबी के अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि ये सुधार निवेशकों को लाभ पहुंचाने और परिसंपत्ति प्रबंधकों की सुरक्षा के बीच संतुलन सुनिश्चित करते हैं, जिससे भारत के पूंजी बाजार की परिपक्वता और आर्थिक लक्ष्यों में योगदान मिलता है।