सरकार ने GDP की गणना हेतु आधार वर्ष को 2011-12 के स्थान पर 2022-23 करने का निर्णय लिया | Current Affairs | Vision IAS
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इस संबंध में बिस्वनाथ गोल्डार की अध्यक्षता में राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी (NAS) पर 26 सदस्यीय सलाहकार समिति का गठन किया गया है। इसका उद्देश्य NAS के संकलन के लिए कार्यप्रणाली को बेहतर एवं सुसंगत बनाना और नए डेटा स्रोतों की पहचान करना है।

  • केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office) प्रतिवर्ष राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी प्रकाशित करता है। इसमें अलग-अलग दृष्टिकोणों से GDP के अनुमान शामिल होते हैं।

आधार वर्ष क्या होता है?

  • आधार वर्ष GDP की गणना के लिए उपयोग किया जाने वाला एक बेंचमार्क है। इसके तहत मुद्रास्फीति के प्रभावों को हटाकर समय के साथ आर्थिक संवृद्धि की तुलना की जाती है।

आधार वर्ष में बदलाव करने की आवश्यकता क्यों हैं?

  • नए डेटा स्रोत शामिल करना: 2011-12 के बाद से डिजिटलीकरण और अलग-अलग क्षेत्रकों में विकास के कारण समय के साथ तेजी से बदलते बेहतर डेटा की उपलब्धता में सुधार हुआ है।
    • इसके शामिल होने से GDP की गणना की सटीकता में सुधार होगा।
  • संरचनात्मक बदलावों को शामिल करना: नया आधार वर्ष पिछले दशक की तुलना में उपभोग पैटर्न, अलग-अलग क्षेत्रकों के योगदान और उभरते हुए क्षेत्रकों के समावेशन में आए बदलावों को दर्शाएगा।
    • जनवरी 2015 में अपनाया गया आधार वर्ष 2011-12 वर्तमान आर्थिक वास्तविकताओं के लिए अप्रासंगिक बन गया है।
  • अन्य: इससे वैश्विक महामारी के बाद की आर्थिक गतिशीलता में आए बदलावों को शामिल करना और वैश्विक स्तर पर तुलना के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करना सुनिश्चित होगा।

इसके निम्नलिखित प्रभाव होंगे

  • इससे विकास संबंधी अनुमानों में संशोधन हो सकता है;
  • इससे भारत की आर्थिक गतिविधि का अधिक सटीक आकलन किया जा सकेगा। साथ ही, नीति निर्माण में सहायता और निवेशकों के विश्वास में वृद्धि आदि देखने को मिल सकती है।
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