केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने भारत में तटीय कटाव (अपरदन) के मुद्दे पर प्रकाश डाला | Current Affairs | Vision IAS
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केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने भारत में तटीय कटाव (अपरदन) के मुद्दे पर प्रकाश डाला

Posted 03 Dec 2024

12 min read

भारत की 7516.6 किलोमीटर लंबी तटरेखा (भूमि और समुद्र के बीच प्राकृतिक बफर) अब बढ़ते व्यवधानों का सामना कर रही है। इससे लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है।

भारत में तटीय कटाव की स्थिति:

  • राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (NCCR) के एक अध्ययन के अनुसार, लगभग भारतीय तट के 33.6% भाग का क्षरण हो रहा है, 26.9% हिस्से का विस्तार हो रहा है तथा 39.5% हिस्सा स्थिर अवस्था में है।
    • राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि 40% से अधिक तटीय कटाव चार राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में हो रहा है। इनमें शामिल हैं- पश्चिम बंगाल (63%), पुडुचेरी (57%), केरल (45%) और तमिलनाडु (41%) 

तटीय कटाव के बारे में:

  • इसके तहत समुद्र की लहरें तटीय चट्टानों को खंडित कर अपने साथ बहा ले जाती हैं। प्रचंड तरंगों द्वारा तट का क्षरण चार मुख्य प्रक्रियाओं अर्थात हाइड्रोलिक क्रिया, संपीड़न, अपघर्षण और संनिघर्षण के माध्यम से होता है।
    • इस दौरान बनी अपरदनात्मक भू-आकृतियों में क्लिफ, वेदिका, गुफाएं, स्टैक, मेहराब और स्टंप शामिल हैं।

तटीय कटाव के लिए जिम्मेदार कारक:

  • प्राकृतिक कारक: इसमें समुद्र जल का बढ़ता स्तर; मैंग्रोव का विनाश; चक्रवाती गतिविधियां; तथा लहरों, पवनों, ज्वार-भाटे, तटीय धाराओं, तूफान आदि की क्रियाएं शामिल हैं।
  • मानव जनित कारक: इसमें अनियमित बालू खनन और बंदरगाहों आदि का निर्माण; ज्वारीय प्रवेश मार्ग और पोत परिवहन मार्गों की ड्रेजिंग करना; बांध बनाना आदि शामिल हैं।

तटीय कटाव को रोकने के लिए संभावित नवीन समाधान:

  • समुदाय संचालित संरक्षण कार्यक्रम संचालित करने चाहिए। साथ ही, AI का उपयोग करके रियाल टाइम में कटाव की निगरानी करनी चाहिए। 
  • प्रकृति आधारित पद्धतियां अपनानी चाहिए। इनमें जलवायु अनुकूल तरीके से तटों (Beach) पर अधिक रेत डालना, मैंग्रोव का पुनरुद्धार करना आदि शामिल हैं।
  • तटीय प्रबंधन योजनाओं को तटीय कटाव के स्थानीय और क्षेत्रीय कारकों को ध्यान में रखते हुए बनाना चाहिए।

तटीय कटाव से निपटने के लिए उठाए गए कदम

  • राज्यों द्वारा तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना (CRZ), 2019 के अनुसार तटरेखा प्रबंधन योजना तैयार की गई है।
  • तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) अधिसूचना, 2019 में भारत के समुद्र तट को अतिक्रमण और कटाव से बचाने के लिए नो डेवलपमेंट जोन (NDZ) का भी प्रावधान किया गया है।
  • विश्व बैंक द्वारा K-SHORE परियोजना चलाई जा रही है।
  • तटीय प्रबंधन सूचना प्रणाली (Coastal Management Information System) अपनाई गई है।
  • Tags :
  • तटीय कटाव
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  • K-SHORE
  • राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (NCCR)
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