सुप्रीम कोर्ट (SC) ने सार्वजनिक संस्थानों में दीर्घकालिक अस्थायी नियोजन पर रोक लगा दी | Current Affairs | Vision IAS
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जग्गो और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य वाद में, सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक संस्थानों में अस्थायी अनुबंधों के दुरुपयोग की आलोचना की है। साथ ही, यह आदेश भी दिया है कि यह जन विश्वास को खत्म करता है और न्याय को कमजोर करता है।

मामले पर एक नजर: 

  • संदर्भ: केंद्रीय जल आयोग (CWC) के चार हाउसकीपिंग कर्मचारी 20 वर्षों से अधिक समय तक अस्थायी अनुबंध पर कार्यरत थे। 2018 में, उन्हें अचानक बर्खास्त कर दिया गया था। 
  • फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी को रद्द करके उन्हें पुनर्बहाल करने का आदेश दिया और उन्हें नियमित करने का भी निर्देश दिया।

SC द्वारा उठाए गए मुद्दे

  • गिग इकॉनमी में कामगारों के प्रणालीगत शोषण में वृद्धि: निजी क्षेत्र की गिग इकॉनमी के विस्तार ने अनिश्चित कार्य व्यवस्थाओं को बढ़ा दिया है। इसने कामगारों को आवश्यक लाभ, रोजगार सुरक्षा और उचित व्यवहार से वंचित कर दिया है।
  • सार्वजनिक क्षेत्रक में आउटसोर्सिंग: शीर्ष न्यायालय ने कहा कि सार्वजनिक संस्थान बार-बार अस्थायी पदों को आउटसोर्स करके नियमित नियोजन दायित्वों से बच रहे हैं। इसके कारण कामगारों के शोषण का दुष्चक्र बन गया है।
  • नियमों का उल्लंघन और नैतिक प्रभाव: आवश्यक भूमिकाओं के लिए अस्थायी कामगारों का लंबे समय तक उपयोग करना अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों का उल्लंघन है। यह संगठन के समक्ष कानूनी चुनौतियां पैदा करता है और कर्मचारियों के मनोबल को कमजोर करता है। 

सार्वजनिक क्षेत्रक में नियोजन से संबंधित अन्य वाद 

  • कर्नाटक राज्य बनाम उमा देवी: आवश्यक कर्तव्यों का पालन करने वाले लंबे समय से काम कर रहे अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने पर विचार किया जाना चाहिए। 
  • विनोद कुमार एवं अन्य आदि बनाम भारत संघ और अन्य: जब "अस्थायी" कर्मचारियों ने विस्तारित अवधि के लिए नियमित कर्मचारी के कर्तव्यों का पालन किया है, तो प्रक्रियात्मक तकनीकी प्रावधान उनके नियमितीकरण को रोक नहीं सकते हैं।

भारत में गिग इकोनॉमी के बारे में

  • नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गिग वर्कर्स की संख्या 2020-21 की 7.7 मिलियन से बढ़कर 2029-30 तक 23.5 मिलियन होने की उम्मीद है। 
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: यह गिग वर्कर को परिभाषित करती है और गिग वर्कर्स तक सामाजिक सुरक्षा लाभ के विस्तार का प्रावधान करती है। 
  • उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, 2020: यह संहिता अनुबंध श्रम को भी नियंत्रित करती है तथा सुरक्षित और स्वस्थ कार्य परिवेश को बढ़ावा देती है।
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