WEF ने "महिला किसानों के लिए कृषि प्रौद्योगिकी: समावेशी विकास हेतु एक व्यावसायिक दृष्टिकोण" रिपोर्ट जारी की | Current Affairs | Vision IAS
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यह रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने जारी की है। इस रिपोर्ट में लैंगिक समावेशी कृषि प्रौद्योगिकी का वैश्विक अवलोकन प्रस्तुत किया गया है। साथ ही, इसमें यह तथ्य भी रेखांकित किया गया है कि लैंगिक समावेशी कृषि प्रौद्योगिकी किस प्रकार महिला किसानों को अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग करने में मदद कर सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार निम्नलिखित हेतु महिला किसानों के लिए लैंगिक समावेशी कृषि प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है:

  • कृषि में महिलाओं का योगदान: भारत में कपास, गन्ना, चाय, कॉफी और काजू जैसी वाणिज्यिक मूल्य श्रृंखलाओं में महिलाओं की भागीदारी लगभग 50% के साथ उल्लेखनीय रूप से अधिक है।
    • इस पर्याप्त भागीदारी के बावजूद भी महिलाओं की आय पुरुषों की तुलना में 60% तक कम है। साथ ही, उन्हें वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और तकनीक तक सीमित पहुंच का भी सामना करना पड़ता है।
  • दक्षता: उत्पादन के मामले में कृषि प्रौद्योगिकी संबंधी डेटा आधारित योजना को अपनाकर  खाद्य हानि और खाद्य अपशिष्ट दोनों को कम किया जा सकता है। साथ ही, कारोबार को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक दक्ष और मजबूत बनाने में भी सक्षम बनाया जा सकता है।
  • व्यावसायिक अनिवार्यता: निजी क्षेत्रक के लिए लैंगिक-समावेशी कृषि प्रौद्योगिकी को रणनीतिक व्यावसायिक अनिवार्यता के रूप में स्थापित करना जरूरी है।

कृषि प्रौद्योगिकी (एग्रीटेक) को अपनाने में महिला किसानों के समक्ष मौजूद चुनौतियां

मांग पक्ष संबंधी चुनौतियां 

  • सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएं: इसमें लैंगिक भूमिकाओं को लेकर बनी धारणाएं, महिलाओं की आवाजाही पर पाबंदियां और सुरक्षा संबंधी चिंताएं शामिल हैं। 
  • संसाधनों तक सीमित पहुंच: भूमि के स्वामित्व की कमी के कारण महिलाओं द्वारा औपचारिक ऋण प्राप्त करना और अन्य कृषि सेवाओं का उपयोग करना कठिन हो जाता है।
  • साक्षरता संबंधी बाधाएं: कम शिक्षा और डिजिटल साक्षरता का अभाव जागरूकता को बाधित करता है।

आपूर्ति पक्ष संबंधी चुनौतियां

  • लैंगिक-विशिष्ट आंकड़ों का अभाव: महिला और पुरुष किसानों की कृषि प्रौद्योगिकी सेवाओं तक पहुंच और उपयोग से जुड़े उनके अनुभवों को अलग-अलग समझने के लिए पर्याप्त डेटा की कमी है।
  • सहायता प्रणाली की कमी: इसमें सीमित मार्गदर्शन और आपस में सीखने के अवसर का अभाव और कृषि अनुसंधान व संबंधित सेवाओं के मामले में अकुशल समन्वय आदि की स्थिति शामिल है।
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