ब्रह्मोस NG (नेक्स्ट जेनरेशन) मिसाइल
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार ब्रह्मोस NG मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण 2026 में होगा, जबकि इसका उत्पादन 2027-28 तक शुरू होगा।
ब्रह्मोस NG (नेक्स्ट जेनरेशन) के बारे में
- यह उन्नत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे भारत-रूस संयुक्त उद्यम द्वारा विकसित किया गया है।
- मिसाइल का प्रकार: यह पहले की ब्रह्मोस मिसाइल का हल्का, छोटा, अधिक बहुउद्देशीय और घातक संस्करण है।
- तैनाती: इसे SU-30MKI, LCA तेजस, पनडुब्बियों और नौसेना प्लेटफॉर्म्स पर तैनात करने के लिए डिजाइन किया गया है।
- क्षमता:
- गति: मैक 3.5 तक।
- मारक क्षमता: 290 किलोमीटर, जिसे 450 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है।
- निर्यात क्षमता: भारत ने 2024 में ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप फिलीपींस को भेजी थी।
- Tags :
- ब्रह्मोस
- सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
स्टारलिंक
स्पेसएक्स के स्टारलिंक का सैटेलाइट इंटरनेट भूटान में उपलब्ध है।
स्टारलिंक के बारे में
- स्टारलिंक हजारों उपग्रहों का एक समूह है। यह समूह पृथ्वी के बहुत करीब, लगभग 550 कि.मी. की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए संपूर्ण विश्व को कवर करता है।
- स्टारलिंक उपग्रह निम्न भू कक्षा में स्थित हैं, इसलिए लेटेंसी काफी कम है।
- उद्देश्य: विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में वैश्विक ब्रॉडबैंड कवरेज प्रदान करना।
- लाभ: फाइबर या सेलुलर नेटवर्क के विपरीत, स्टारलिंक को किसी जमीनी बुनियादी ढांचे की आवश्यकता नहीं है।
- भारत ने अब तक स्टारलिंक को भारत में संचालन करने की अनुमति नहीं दी है।
- Tags :
- स्टारलिंक
- सैटेलाइट इंटरनेट
पारस-2 स्पेक्ट्रोग्राफ और सब-सैटर्न एक्सोप्लैनेट
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) के वैज्ञानिकों ने माउंट आबू टेलीस्कोप में PARAS-2 स्पेक्ट्रोग्राफ का उपयोग करके एक नए सघन एक्सोप्लैनेट की खोज की।
- एक्सोप्लैनेट: यह सब-सैटर्न श्रेणी में अवस्थित है।
- सब-सैटर्न श्रेणी: ऐसे एक्सोप्लैनेट जो नेपच्यून से बड़े लेकिन शनि से छोटे होते हैं।
PARAS-2 (PRL एडवांस्ड रेडियल वेलोसिटी आबू स्काई सर्च) स्पेक्ट्रोग्राफ के बारे में
- यह एक अत्याधुनिक हाई-रिज़ॉल्यूशन फाइबर-फेड स्पेक्ट्रोग्राफ है। इसका उद्देश्य सुपर-अर्थ जैसी दुनिया की खोज करना है।
- स्पेक्ट्रोग्राफ एक ऐसा उपकरण है, जो प्रकाश को उसकी संरचना और गुणों के विश्लेषण के लिए उसके स्पेक्ट्रम में विभाजित करता है।
- यह उच्च परिशुद्धता और संवेदनशीलता के साथ एशिया में उच्चतम-रिज़ॉल्यूशन वाला स्पेक्ट्रोग्राफ है।
- Tags :
- पारस-2 स्पेक्ट्रोग्राफ
- सब-सैटर्न एक्सोप्लैनेट
- हाई-रिज़ॉल्यूशन फाइबर-फेड स्पेक्ट्रोग्राफ
भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण (FSI)
हाल ही में, एक सर्वेक्षण के दौरान भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण ने अरब सागर में नए मात्स्यिकी क्षेत्र की खोज की।
भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण (FSI) के बारे में
- यह केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मात्स्यिकी पर एक नोडल संस्थान है।
- कार्य: भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और इसके आसपास के क्षेत्रों में समुद्री मत्स्य संसाधनों का सर्वेक्षण एवं मूल्यांकन करना, ताकि इन संसाधनों का संधारणीय तरीके से उपयोग व प्रबंधन किया जा सके।
- FSI का समुद्री इंजीनियरिंग प्रभाग (MED) गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाजों के रखरखाव का कार्य करता है।
- FSI का विकास क्रम:
- इसे 1946 में डीप सी फिशिंग स्टेशन परियोजना के रूप में स्थापित किया गया था।
- 1988 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में मान्यता मिली थी।
- Tags :
- भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण
- FSI
- अनन्य आर्थिक क्षेत्र
- current
जलवायु जोखिम सूचकांक 2025
जलवायु जोखिम सूचकांक 2025 के अनुसार भारत 1993-2022 के दौरान जलवायु जोखिमों से सबसे अधिक प्रभावित देशों में छठे स्थान पर रहा।
- 1993-2022 के बीच, भारत में 400 से अधिक चरम मौसम की घटनाएं दर्ज की गई थीं। इन घटनाओं की वजह से लगभग 180 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ था और लगभग 80,000 लोगों की मौत हो गई थी।
‘जलवायु जोखिम सूचकांक’ के बारे में
- परिभाषा: यह पिछले आंकड़ों पर आधारित सूचकांक है। यह चरम मौसम की घटनाओं से होने वाली मानव और आर्थिक क्षति के आधार पर देशों की रैंकिंग करता है। सबसे अधिक प्रभावित देश को सर्वोच्च रैंक दी जाती है।
- प्रकाशक: जर्मनवॉच (Germanwatch) द्वारा 2006 से प्रकाशित।
- सूचकांक तैयार करने की पद्धति:
- तीन प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं के आधार पर जलवायु जोखिमों के प्रभाव का आकलन किया जाता है। ये जलवायु जोखिम हैं-
- जल-विज्ञान (Hydrological),
- मौसम विज्ञान (Meteorological) और
- जलवायु विज्ञान (Climatological)।
- सूचकांक के 6 प्रमुख संकेतकों में शामिल हैं- आर्थिक हानि, मृतक तथा प्रभावित लोग।
- इनकी गणना कुल संख्या और सापेक्ष रूप से की जाती है।
- तीन प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं के आधार पर जलवायु जोखिमों के प्रभाव का आकलन किया जाता है। ये जलवायु जोखिम हैं-
- Tags :
- जर्मनवॉच
- जलवायु जोखिम सूचकांक 2025
- चरम मौसम की घटनाएं
लोक लेखा समिति
हाल ही में, लोक लेखा समिति ने केंद्र सरकार से राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए टोल टैक्स नियम की समीक्षा करने का आग्रह किया।
लोक लेखा समिति (PAC) के बारे में
- उत्पत्ति: इसे मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों के आधार पर पहली बार 1921 में स्थापित किया गया था।
- समिति का गठन: इसे लोक सभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 308 के तहत हर साल गठित किया जाता है।
- सदस्य: इस समिति में कुल 22 सदस्य होते हैं। इनमें लोक सभा से 15 और राज्य सभा से 7 सदस्य शामिल हैं। सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष होता है।
- किसी भी केंद्रीय मंत्री को इस समिति का सदस्य नहीं बनाया जाता है।
- अध्यक्ष: PAC का अध्यक्ष लोक सभा का सदस्य होता है। उसकी नियुक्ति लोक सभा अध्यक्ष करता है।
- कार्य: यह समिति संसद द्वारा अनुमोदित सरकारी व्यय, वित्तीय लेखाओं और विनियोगों की समीक्षा करती है।
- Tags :
- लोक लेखा समिति
- PAC
मिशन अमृत सरोवर
मिशन अमृत सरोवर के तहत 68,000 से अधिक तालाबों का कायाकल्प किया गया है या उनका निर्माण किया गया है। इससे कई जगहों पर जल संकट से निपटने में मदद मिल रही है।
मिशन अमृत सरोवर के बारे में
- शुरुआत: यह मिशन 2022 में, भारत के "आज़ादी के अमृत महोत्सव" के तहत शुरू किया गया था।
- उद्देश्य: देश के प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवरों (तालाब) का निर्माण/ कायाकल्प करना। इससे देश भर में अमृत सरोवरों की कुल संख्या बढ़कर लगभग 50,000 हो जाएगी।
- इस मिशन में मनरेगा, प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) जैसी पहलों को एकीकृत किया गया है। साथ ही, इस मिशन में जनभागीदारी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
- इस मिशन के लिए अलग से वित्तीय आवंटन नहीं किया गया है।
- Tags :
- मिशन अमृत सरोवर
- PMKSY
ब्रह्मगिरि वन्यजीव अभयारण्य
ब्रह्मगिरि वन्यजीव अभयारण्य के बफर जोन में आदिवासियों के लिए एक गांव बनाने के राज्य सरकार के फैसले पर पर्यावरणविदों ने आपत्ति जताई।
- बफर जोन एक वन्यजीव अभयारण्य के आसपास एक निर्दिष्ट क्षेत्र होता है। यह क्षेत्र अभयारण्य की जैव विविधता और पारिस्थितिकी-तंत्र की रक्षा करने में मदद करता है।
ब्रह्मगिरि वन्यजीव अभयारण्य के बारे में
- अवस्थिति: यह कोडागु जिले (कर्नाटक) में पश्चिमी घाट के कोर क्षेत्र में स्थित है।
- इस अभयारण्य का नाम इसके उच्चतम बिंदु ब्रह्मगिरि शिखर से लिया गया है।
- वनस्पति: इसमें शोला घास के मैदान के साथ-साथ सदाबहार और अर्ध-सदाबहार वन शामिल हैं।
- जीव-जंतु: तेंदुआ, गौर या भारतीय बाइसन, बार्किंग डियर, शेर-पूंछ मकैक, नीलगिरि लंगूर आदि।
- Tags :
- ब्रह्मगिरि वन्यजीव अभयारण्य
- कोडागु
- अर्ध-सदाबहार वन