ओरेशनिक हाइपरसोनिक मिसाइल रूसी अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) के डिजाइन पर आधारित है।
हाइपरसोनिक मिसाइलें न्यूनतम मैक-5 की गति यानी ध्वनि की गति से पांच गुना गति से उड़ सकती हैं।
बैलिस्टिक मिसाइल (BM) के बारे में
- बैलिस्टिक मिसाइल तय लक्ष्य तक वारहेड पहुंचाने के लिए प्रक्षेप्य गति (प्रोजेक्टाइल मोशन) का उपयोग करती है।

- प्रक्षेप्य गति में मिसाइल को लांच करने के लिए इसे आरंभिक चरण में रॉकेट बूस्टर के माध्यम से एक निश्चित ऊंचाई तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद बूस्टर अलग हो जाते हैं और मिसाइल गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पृथ्वी की ओर तेजी से गिरते हुए लक्ष्य पर हमला कर देती है। इस तरह यह भौतिकी के नियम यानी गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से अपने जमीनी लक्ष्य की ओर उतरती हुई हमला करती है।
- इसके विपरीत, क्रूज मिसाइलों को अपनी पूरी उड़ान के दौरान ऊर्जा की जरुरत पड़ती है। ये मिसाइलें उड़ान के दौरान वायुमंडल में ही कम ऊंचाई पर बनी रहती हैं। इस तरह लक्ष्य पर सटीक तरीके से और निर्देशित हमले करती हैं।
- बैलिस्टिक मिसाइलें परमाणु या पारंपरिक वारहेड लेकर उड़ान भर सकती हैं।
भारत की बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताएं
- एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP): इस कार्यक्रम के तहत पृथ्वी, अग्नि जैसी बैलिस्टिक मिसाइलें विकसित की गई हैं।
- सबमरीन बैलिस्टिक मिसाइलें: इनमें धनुष, K-15 सागरिका और निर्माणाधीन K-4 जैसी मिसाइलें शामिल हैं।
- बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली: इनमें पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) मिसाइल, एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD) मिसाइल और लंबी दूरी की इंटरसेप्टर मिसाइल प्रणाली शामिल हैं।
मिसाइल विकास को विनियमित करने वाली संधियां
- मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR): इसका गठन 1987 में हुआ था। यह राष्ट्रों की एक अनौपचारिक राजनीतिक व्यवस्था है। इसके सदस्य वैसे देश हैं, जो मिसाइलों और मिसाइल प्रौद्योगिकी के प्रसार को सीमित करना चाहते हैं।
- बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के विरुद्ध हेग आचार संहिता (HCOC): यह 2002 में अपनाई गई थी। यह संहिता सामूहिक विनाश के हथियार (WMD) दागने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों के प्रसार को रोकती है।