भारत-किर्गिस्तान द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) आधिकारिक तौर पर लागू हुई | Current Affairs | Vision IAS
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भारत-किर्गिस्तान द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) पर जून 2019 में हस्ताक्षर किए गए थे और यह संधि 5 जून, 2025 से लागू हो गई है।

  • नई द्विपक्षीय निवेश संधि ने वर्ष 2000 में लागू हुई संधि की जगह ली है। इस तरह यह नई संधि दोनों देशों के बीच निवेश की सुरक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करेगी। 

भारत-किर्गिस्तान द्विपक्षीय निवेश संधि के बारे में   

  • यह संधि दोनों देशों के निवेशकों के अधिकारों और दोनों देशों की अपनी-अपनी संप्रभु विनियामक शक्तियों के बीच संतुलन सुनिश्चित करती है। साथ ही, यह मजबूत और पारदर्शी निवेश परिवेश के निर्माण के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है। 
  • द्विपक्षीय निवेश संधि के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
    • परिसंपत्ति की परिभाषा: इसमें उद्यम-आधारित परिभाषा को अपनाया गया है। साथ ही, इसमें किन परिसंपत्तियों को शामिल किया जाएगा और किन्हें बाहर रखा जाएगा, उन्हें भी परिभाषित किया गया है। इसके अलावा, इसमें निवेश की प्रकृति भी स्पष्ट की गई है – जैसे पूंजी प्रतिबद्धता, लाभ की अपेक्षा, जोखिम वहन करना, आदि।  
    • नीतिगत दायरे से बाहर रखना: स्थानीय सरकार, सरकारी खरीद, कराधान, अनिवार्य लाइसेंस आदि को संधि के दायरे से बाहर रखा गया है, ताकि दोनों देशों द्वारा नीति-निर्माण की स्वतंत्रता बनी रहे।   
    • सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (MFN) खंड को हटा दिया गया है: पहले यह प्रावधान निवेशकों को होस्ट देश की अन्य देशों के साथ संधियों की अनुकूल शर्तें चुनने की अनुमति देता था।
      •  इस प्रावधान के हटाए जाने से सभी निवेशकों के साथ समान और व्यवस्थित व्यवहार किया जाएगा।  
    • संधि में सामान्य एवं सुरक्षा अपवाद भी शामिल किए गए हैं: इन अपवादों के ज़रिए संधि में शामिल देशों को नीति निर्माण की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
      • संधि के सामान्य अपवाद के उदाहरण हैं: पर्यावरण की सुरक्षा, जनस्वास्थ्य एवं सेफ्टी सुनिश्चित करना आदि। 
    • संशोधित विवाद समाधान तंत्र: निवेशकों को पहले स्थानीय विवाद निपटान तंत्रों का उपयोग करना होगा। इनसे संतुष्ट नहीं होने पर ही वे अंतर्राष्ट्रीय पंचाट (Arbitration) का रुख कर सकते हैं। इससे वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र को बढ़ावा मिलेगा। 

द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) क्या है?

  • परिभाषा: इसे अंतर्राष्ट्रीय निवेश समझौता (IIA) भी कहा जाता है। यह विदेशी निवेशकों को यह आश्वासन प्रदान करती है कि उनके निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले उपायों से सुरक्षा मिलेगी। साथ ही राष्ट्रों को संप्रभु नीति-निर्माण की स्वतंत्रता भी प्राप्त होती है अर्थात वे स्वतंत्र रूप से नीतियां बना सकते हैं। 
  • ये समझौते निवेशक या उनके देश को होस्ट देश (जहां निवेश किया गया है) के खिलाफ निवेश विवादों को लेकर मुकदमा दायर करने का अधिकार भी देते हैं।
  • भारत ने 2015 में द्विपक्षीय निवेश संधि का नया मॉडल टेक्स्ट स्वीकृत किया था। यह मॉडल 1993 के मॉडल के स्थान पर लागू किया गया है।
  • 2015 से भारत ने इन देशों के साथ नई द्विपक्षीय निवेश संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं: उज्बेकिस्तान (2024), संयुक्त अरब अमीरात (2024), ब्राजील (2020), बेलारूस (2018) आदि। 
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