रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारतीय सुरक्षा बलों ने अज्ञात सशस्त्र व्यक्तियों की गतिविधियों के बारे में सूचना मिलने के बाद अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर अभियान शुरू किए।
भारत के पूर्वोत्तर में सीमा-पार सुरक्षा संबंधी खतरे
- विद्रोही गतिविधियां: कई विद्रोही गुटों (जैसे- NSCN-K, ULFA (I), PLA और NDFB) ने प्रशिक्षण, संगठन को मज़बूत बनाने एवं भारतीय सुरक्षा बलों पर हमले करने के लिए म्यांमार को एक सुरक्षित आश्रय के रूप में इस्तेमाल किया है।
- जातीय संघर्ष और शरणार्थियों की बढ़ती संख्या: म्यांमार में राजनीतिक उथल-पुथल, विशेष रूप से 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद शरणार्थियों (विशेष रूप से चिन और रोहिंग्या जैसे नृजातीय समूहों) का आगमन बढ़ा है। इससे पोर्वोत्तर भारत में कानून और व्यवस्था से जुड़ी समस्या उत्पन्न हुई है तथा संसाधनों पर दबाव पड़ा है, जिससे स्थानीय आक्रोश में वृद्धि हुई है।
- हथियार और मादक पदार्थों की तस्करी: गोल्डन ट्रायंगल (म्यांमार-लाओस-थाईलैंड) से म्यांमार के माध्यम से मणिपुर एवं मिजोरम में ड्रग्स का प्रवेश, नशीली दवाओं के दुरुपयोग से जुड़ी समस्याओं को बढ़ाता है। गोल्डन ट्रायंगल भारत में हेरोइन और सिंथेटिक ड्रग्स की तस्करी का एक प्रमुख स्रोत है।
इन खतरों से निपटने के लिए उठाए गए कदम
- कानून और नीतियां: अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) लागू किया गया है; म्यांमार के साथ मुक्त आवागमन व्यवस्था को खत्म किया गया है आदि।
- आतंकवाद-रोधी अभियान: सीमा-पार के विद्रोही शिविरों को नष्ट करने के लिए भारतीय सेना और म्यांमार सेना द्वारा संयुक्त अभियान (ऑपरेशन सनराइज) चलाये जा रहे हैं; मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) द्वारा सक्रिय अभियान संचालित किए जा रहे हैं आदि।
- सीमा अवसंरचना और निगरानी: कॉम्प्रिहेंसिव इंटिग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम (CIBMS) के अंतर्गत स्मार्ट बाड़ लगाना, सीमा चौकियों को मजबूत करना आदि।