8वें वैश्विक आपदा जोखिम न्यूनीकरण मंच (GPDRR) 2025 का आयोजन जिनेवा में किया गया है। इसमें भारत ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) वित्त-पोषण प्रणालियों की स्थापना का समर्थन करने के लिए एक समर्पित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय तंत्र की कमी को उजागर किया।
- इस संबंध में भारत ने एक वैश्विक सुविधा की स्थापना का आह्वान किया, जो संयुक्त राष्ट्र प्रणाली और बहुपक्षीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा समर्थित हो। यह सुविधा उत्प्रेरक वित्त-पोषण, तकनीकी सहायता और ज्ञान साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगी।
भारत की आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) वित्त-पोषण प्रणाली

- भारत का दृष्टिकोण: भारत लचीलेपन की आधारशिला के रूप में एक मजबूत और उत्तरदायी DRR वित्त-पोषण संरचना का समर्थन करता है।
- DRR वित्त-पोषण में भारत की प्रगति:
- प्रारंभिक आवंटन: प्रारंभिक वित्त आयोगों द्वारा 6 करोड़ रुपये (लगभग 0.7 मिलियन डॉलर) का आवंटन किया गया था।
- वर्तमान आवंटन: 15वें वित्त आयोग के तहत यह राशि 2.32 ट्रिलियन रुपये (लगभग 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक हो चुकी है।
- DRR वित्तीय तंत्र: भारत एक पूर्व-निर्धारित व नियम-आधारित आवंटन प्रणाली का पालन करता है। इसमें राष्ट्रीय स्तर से राज्य और जिला स्तर तक धन प्रवाह सुनिश्चित होता है। यह प्रणाली 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम द्वारा समर्थित है।
- इस बदलाव ने यह सुनिश्चित किया कि आपदा के समय की वित्तीय सहायता अब असंगठित और प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि संरचित एवं पूर्वानुमान योग्य है।
- भारत का DRR वित्त-पोषण दृष्टिकोण चार प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित है:
- पहला- तैयारी, शमन, राहत और पुनर्प्राप्ति के लिए समर्पित वित्तीय प्रावधान।
- दूसरा- प्रभावित लोगों और कमजोर समुदायों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता देना।
- तीसरा- वित्तीय संसाधनों की सभी सरकारी स्तरों यथा- केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर तक पहुंच सुनिश्चित करना।
- चौथा- उत्तरदायित्व, पारदर्शिता और सभी खर्चों का मार्गदर्शन करने वाले मापने योग्य परिणाम।
अन्य संबंधित तथ्यअफ्रीकी संघ आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) का 54वां सदस्य बना।
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