कच्चे खाद्य तेलों के आयात पर मूल सीमा शुल्क में कटौती निम्नलिखित वजहों से की गई है:
- देश में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए, और
- देश में कच्चे तेल के रिफाइनिंग सेक्टर को मजबूत और उसका कायाकल्प करने के लिए।
भारत में खाद्य तेल
- परिचय: खाद्य तेल मुख्य रूप से वनस्पति तेल होते हैं। कच्चे वनस्पति तेल में से अनावश्यक तत्वों को हटाने के लिए उन्हें कई प्रक्रियाओं से गुजारा जाता है।
- खाद्य तेलों को मनुष्यों के उपभोग लायक बनाने के लिए, उन्हें रिफाइनिंग प्रक्रियाओं से गुजारा जाता है। इन प्रक्रियाओं में न्यूट्रलाइजेशन, ब्लीचिंग और गंधहीन करना (Deodorization) शामिल हैं।
- कच्चे खाद्य तेल के न्यूट्रलाइजेशन का अर्थ है फ्री फैटी एसिड को हटाना।
- खाद्य तेलों को मनुष्यों के उपभोग लायक बनाने के लिए, उन्हें रिफाइनिंग प्रक्रियाओं से गुजारा जाता है। इन प्रक्रियाओं में न्यूट्रलाइजेशन, ब्लीचिंग और गंधहीन करना (Deodorization) शामिल हैं।
- भारत में 9 प्रमुख खाद्य तेल फसलें: मूंगफली, रेपसीड-सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम (Safflower), नाइजरसीड (रामतिल), अरंडी और अलसी।
- खाद्य तेल की स्थिति:
- वैश्विक तिलहन उत्पादन क्षेत्र का लगभग 15-20% क्षेत्र भारत में है।
- वैश्विक वनस्पति तेल उत्पादन में भारत की 6-7% हिस्सेदारी है।
- वैश्विक खाद्य तेल की 9-10% खपत भारत में होती है।
- भारत अपनी खाद्य तेल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत वनस्पति तेलों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश है।
- भारत में आयातित सभी खाद्य तेलों में पाम ऑयल का हिस्सा लगभग 57% है। इसके बाद सोयाबीन तेल (29%) और सूरजमुखी (14%) का स्थान है।
- देश में कुल तिलहन उत्पादन में 92% योगदान 9 प्रमुख तिलहनी फसलों का है। इनमें सोयाबीन (34%), रेपसीड और सरसों (31%) तथा मूंगफली (27%) का सबसे अधिक उत्पादन होता है।
भारत में खाद्य तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए शुरू की गई अन्य पहलें
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