भारतीय तटरक्षक बल (ICG) केरल के पास समुद्र में आगजनी की दुर्घटना से ग्रस्त जहाज के चालक दल को बचाने और जहाज को खींचने (टो करने) के लिए राहत अभियान चला रहा है। यह जहाज भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में आ गया था।
- इससे पहले भी, पिछले महीने एक कंटेनर जहाज केरल तट के पास डूब गया था। इससे खतरनाक रसायन का तट के करीब रिसाव हो गया था। इस वजह से समुद्री आपदाओं व सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं।
समुद्री नौवहन से जुड़ी आपदाओं के जोखिम
- समुद्र और उसके खतरे: कुछ खतरे पूर्वानुमानित होते हैं (जैसे तूफान, बर्फबारी आदि) तथा कुछ अप्रत्याशित (जैसे सुनामी, कोई पनडुब्बी या डूबा हुआ मलबा, समुद्री माइंस आदि) हो सकते हैं।
- जलडमरूमध्य और समुद्री चैनल्स (जैसे पनामा, स्वेज नहर) में खतरे अधिक होते हैं क्योंकि उथले जल में कई जहाजों का मलबा होता है।
- जहाज की स्थिति: पुराने और तकनीकी रूप से पिछड़े जहाजों तथा अधिक भार वाले फेरी जहाजों की संख्या बढ़ने से जोखिम बढ़ता है।
- नए जोखिम: खतरनाक रासायनिक उत्पादों, खतरे वाले उत्पादों, परमाणु अपशिष्ट, विस्फोटक सामग्री, पनडुब्बियों और हथियारों का परिवहन।
- अन्य कारक: मानवीय त्रुटि, युद्ध, समुद्री डकैती, आतंकवाद, आदि।
परिणाम
- पर्यावरण: समुद्री प्रदूषण (तेल रिसाव), जैव विविधता की हानि, जहाजों के बैलास्ट जल का संदूषण आदि।
- स्वास्थ्य: रसायनों या तेल के संपर्क में आने पर सफाई कर्मचारियों और स्थानीय लोगों को लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
- आर्थिक नुकसान और सुरक्षा:
- समुद्री तटों को नुकसान पहुंचता है,
- समुद्र तटों की सफाई पर व्यय बढ़ जाता है,
- तटीय आजीविका का नुकसान होता है,
- पर्यटन क्षेत्रक पर बुरा असर पड़ता है आदि।
संबंधित अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशंस
नोट: उपर्युक्त कन्वेंशंस में से, भारत केवल मार्पोल कन्वेंशन का पक्षकार है। |