सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के संरक्षण और नागरिकों की चिंताओं के बीच संतुलन पर अपनी टिप्पणी दी | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के संरक्षण और नागरिकों की चिंताओं के बीच संतुलन पर अपनी टिप्पणी दी

Posted 23 Jul 2025

12 min read

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो नागरिक आवारा कुत्तों को खाना खिलाना चाहते हैं, उन्हें अपने घरों के भीतर ऐसा करने पर विचार करना चाहिए। न्यायालय कि यह टिप्पणी आवारा कुत्तों को लेकर समाज में मौजूद नैतिक मतभेद को उजागर करती है।

  • सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि कानून के अनुसार आवारा कुत्तों की रक्षा की जानी चाहिए, लेकिन साथ ही प्रशासन को आम लोगों की चिंता को भी ध्यान में रखना होगा, ताकि सड़क पर चलने-फिरने में कुत्तों के हमलों से बाधा न आए।

आवारा कुत्तों से संबंधित नैतिक मुद्दे:

  • करुणा बनाम लोक व्यवस्था: कुछ नागरिक आवारा कुत्तों को खाना खिलाने में करुणा दिखाते हैं, जबकि अन्य का मानना है कि इससे क्षेत्रीय आक्रामकता और लोक असुविधा बढ़ती है।
  • पशु कल्याण बनाम लोक सुरक्षा: आवारा कुत्तों को जीवन और गरिमा का अधिकार है, लेकिन समुदायों को भी कुत्तों के काटने और रेबीज से सुरक्षा का अधिकार है।
    • NCDC के अनुसार, वर्ष 2024 में भारत में 37 लाख से अधिक कुत्तों के काटने के मामले दर्ज किए गए थे।
  • पारिस्थितिक वहन क्षमता बनाम आबादी नियंत्रण: यह तर्क दिया जाता है कि मनुष्य कुत्तों को खाना खिलाकर उनकी संख्या को बढ़ा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पशु आबादी नियंत्रण के अनैतिक उपाय भी अपना रहे हैं।
  • उपयोगितावाद बनाम आचरण-शास्त्रीय दृष्टिकोण: परित्याग बनाम उत्तरदायित्व: मनुष्यों और कुत्तों के बीच का उपयोगितावादी रिश्ता अब कमजोर पड़ गया है। इससे पालतू कुत्तों को त्यागने की प्रवृत्ति बढ़ी है, जबकि आचरण-शास्त्रीय दृष्टिकोण कहता है कि आवारा कुत्तों के प्रति हमारी ज़िम्मेदारियों को निभाना चाहिए।

भारत में आवारा कुत्तों से संबंधित प्रावधान:

  • संविधान: अनुच्छेद 243(W) नगर पालिकाओं को आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने का आदेश देता है। वहीं, अनुच्छेद 51A(g) के तहत नागरिकों का मौलिक कर्तव्य है कि वे "जीवित प्राणियों के प्रति करुणा का भाव" रखें।
  • नियम: पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत बनाए गए पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2023 का उद्देश्य बंध्याकरण के माध्यम से आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करना और टीकाकरण द्वारा रेबीज के प्रसार को रोकना है।
    • इन नियमों में सामुदायिक जानवरों को भोजन देने की व्यवस्था भी की गई है, जिसमें रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशंस (RWAs) या स्थानीय निकायों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।
  • न्यायालय के निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू मामले (2014) में अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) की व्याख्या करते हुए कहा कि यह अधिकार जानवरों को भी प्राप्त है।
  • Tags :
  • करुणा
  • आवारा कुत्ते
  • उपयोगितावाद
  • पशु कल्याण
Watch News Today
Subscribe for Premium Features

Quick Start

Use our Quick Start guide to learn about everything this platform can do for you.
Get Started