भारत ने बिग-कैट्स पर्यावास वाले देशों से “इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (IBCA)” में शामिल होने का आग्रह किया | Current Affairs | Vision IAS
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    भारत ने बिग-कैट्स पर्यावास वाले देशों से “इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (IBCA)” में शामिल होने का आग्रह किया

    Posted 09 Dec 2025

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    Article Summary

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    भारत ने बिग कैट रेंज देशों को अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) में शामिल होने और प्रमुख बिग कैट प्रजातियों और पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 2026 ग्लोबल बिग कैट्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए आमंत्रित किया है।

    भारत ने बड़ी विडाल प्रजातियों (बिग कैट्स) के पर्यावास वाले सभी देशों से वैश्विक बिग कैट्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। यह सम्मेलन 2026 में नई दिल्ली में आयोजित होना है।

    इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (IBCA) के बारे में

    • स्थापना: IBCA की शुरुआत 2023 में भारत द्वारा हुई थी। इसका उद्देश्य सात बड़ी विडाल प्रजातियों यानी बिग कैट्स का संरक्षण है। 
      • ये सात विडाल प्रजातियां हैं; बाघ, शेर, हिम तेंदुआ, चीता, तेंदुआ, प्यूमा और जगुआर
    • संगठनात्मक स्वरूप: IBCA बहुराष्ट्रीय और बहु-एजेंसी गठबंधन है। इनमें बिग कैट पर्यावास वाले 95 देश, संरक्षण में अभिरुचि रखने वाले बिना पर्यावास वाले देश, संरक्षण साझेदार, वैज्ञानिक संस्थान, व्यावसायिक समूह और कॉरपोरेट शामिल हैं।
    • सचिवालय: नई दिल्ली (भारत)।
    • वर्तमान सदस्य: 18 सदस्य देश और 3 पर्यवेक्षक देश। 
      • संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य इस संगठन का सदस्य बनने के लिए पात्र हैं।
    • प्रशासन: IBCA असेंबली, IBCA की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। इसमें प्रत्येक सदस्य देश के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

    बिग कैट्स (बड़ी विडाल प्रजातियां) के बारे में 

    • सात बिग कैट्स में पांच प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं। भारत में पाई जाने वाली बिग कैट्स प्रजातियां हैं; बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ और चीता। 
    • सभी बिग-कैट्स प्रजातियां आम तौर पर अकेले रहती हैं। हालांकि, शेर समूह में रहते हैं जिसे ‘प्राइड’ कहा जाता है।  
    • पारिस्थितिक दृष्टिकोण से महत्व 
      • ये प्रजातियां अपने पारिस्थितिकी तंत्र की शीर्ष शिकारी होती हैं। इन प्रजातियों का अस्तित्व पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए ज़रूरी हैं।
      • ये कीस्टोन प्रजातियां हैं। 
        • ये शाकाहारी जानवरों की संख्या को नियंत्रित करके वनस्पतियों के विनाश को रोकती हैं और वानस्पतिक विविधता बनाए रखती हैं।   
        • ये बीज खाने वाले पक्षियों और अन्य स्तनपायियों का शिकार करके क्षेत्र में बीजों के वितरण में मदद करती हैं और वनों की सततता सुनिश्चित करती हैं। 
      • इन प्रजातियों के सुरक्षित पर्यावास महत्वपूर्ण कार्बन सिंक होते हैं। इस तरह ये पर्यावास जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद करते हैं।
      • ये अपने पारिस्थितिकी तंत्र की प्रमुख प्रजातियां (Flagship species) हैं। इसका तात्पर्य है कि इन प्रजातियों के संरक्षण से इनके पर्यावास में रहने वाली अन्य कई प्रजातियों का संरक्षण भी सुनिश्चित होता है।
    • मुख्य खतरे 
      • वनों की कटाई, शहरीकरण और भूमि उपयोग में बदलाव से इनके पर्यावास नष्ट हो रहे हैं। इससे ये प्रजातियां मानव बस्तियों की ओर रुख कर रही हैं जिससे  मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है।
    • Tags :
    • International Big Cat Alliance (IBCA)
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