इस वर्ष शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन चीन के तियानजिन में आयोजित किया गया।
घोषणा-पत्र के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- क्षेत्रीय संघर्ष और परमाणु अप्रसार
- सम्मेलन में आतंकवाद विरोधी प्रयासों में दोहरे मानदंडों को अस्वीकार किया गया। साथ ही, आतंकवादियों की सीमा-पार आवाजाही को रोकने के लिए वैश्विक सहयोग के महत्त्व पर बल दिया गया।
- जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की गई। हालांकि, इसमें पाकिस्तान का कोई संदर्भ नहीं दिया गया।
- ईरान पर इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा किए गए सैन्य हमलों की निंदा की गई।
- संयुक्त राष्ट्र सुधार: घोषणा-पत्र में संयुक्त राष्ट्र के शासी निकायों में विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व बढ़ाकर उसे आधुनिक वास्तविकताओं के अनुकूल बनाने का आह्वान किया गया है।
- सतत विकास और सामाजिक एजेंडा:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास और उपयोग में सभी देशों के लिए समान अधिकारों के समर्थन का उल्लेख किया गया है।
- भारत के वैश्विक विज़न “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” को मान्यता दी गई। साथ ही, समावेशी व सतत विकास को बढ़ावा देने में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को स्वीकार किया गया।
SCO के प्रभाव का विस्तार करने के लिए चीन की पहलें: SCO सदस्य अब चीन की बेईदोउ उपग्रह प्रणाली (GPS विकल्प) का उपयोग कर सकते हैं। चीन ने अगले तीन वर्षों में 1.4 बिलियन डॉलर का ऋण देने का वादा किया और एक SCO विकास बैंक बनाने का प्रस्ताव रखा है।
- चीन ने SCO प्लस शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की: इसमें सदस्य देशों, पर्यवेक्षकों, वार्ता भागीदारों, सम्मानित अतिथियों और प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों ने भाग लिया।
शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधान मंत्री का वक्तव्य
प्रधान मंत्री ने कहा कि SCO तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित है:
- सुरक्षा (क्षेत्र की सुरक्षा),
- कनेक्टिविटी (SCO को 'कनेक्टिविटी' केंद्र के रूप में क्रांतिकारी बनाना) और
- अवसर (पारस्परिक अवसरों को बढ़ावा देना)।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के बारे में
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