इस विरोध प्रदर्शन को "मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया" नाम दिया गया है। इस प्रदर्शन की ऑस्ट्रेलियाई संसद के सदस्यों ने निंदा की है। यह विरोध प्रदर्शन ग्लोबल नॉर्थ में बढ़ती आव्रजन विरोधी भावना को दर्शाता है।
- यूनाइटेड किंगडम के बाद भारतीय प्रवासियों की दूसरी सर्वाधिक संख्या ऑस्ट्रेलिया में है। जून 2023 तक, लगभग 840,000 भारतीय मूल के निवासी ऑस्ट्रेलिया में रह रहे थे।
ग्लोबल नॉर्थ में आव्रजन विरोधी भावना के लिए जिम्मेदार कारक
- सुरक्षा संबंधी कारक: प्रवासन को राष्ट्रीय और सांस्कृतिक सुरक्षा के समक्ष खतरे के रूप में देखा जा रहा है। इस कारण देशों में प्रवासियों के प्रवेश से संबंधित कठोर नियम बनाए जा रहे हैं। कई लोगों के अनुसार बड़ी संख्या में प्रवासियों के कारण उन्हें अपने ही देशों में "घर जैसा महसूस" नहीं होता। उदाहरण के लिए- ब्रेक्जिट अभियान।
- आर्थिक संरक्षणवाद: प्रवासियों से संसाधनों पर दबाव बढ़ता है। इसका भी भय रहता है कि प्रवासी कम वेतन पर काम करके स्थानीय कामगारों से रोजगार छीन सकते हैं। इससे स्थानीय नागरिक बेरोजगार हो जाएंगे।
- राष्ट्रवाद और डी-ग्लोबलाइजेशन: बढ़ता राष्ट्रवाद और वैश्विक जुड़ाव से पीछे हटना, प्रवासियों के कल्याण की तुलना में घरेलू हितों को प्राथमिकता देते हैं।
- दक्षिणपंथी लोकलुभावनवाद: ऐसे राजनीतिक दल प्रवासी विरोधी भावना को हथियार बनाते हैं तथा प्रवासियों को स्थानीय पहचान और सुरक्षा के समक्ष प्रत्यक्ष खतरे के रूप में चित्रित करने जैसे भ्रामक विचारों का प्रसार करते हैं।
- विदेशियों के प्रति घृणा (जेनोफोबिया) और सांस्कृतिक हिंसा: "अदरनेस" और राष्ट्रीय पहचान की सुरक्षा के डर को बढ़वा देने वाले मीडिया प्रचार तथा राजनीतिक बयानबाजी प्रवासियों के प्रति नकारात्मकता को बढ़ाते हैं।
भारत के लिए प्रवासी समुदाय का महत्त्व
प्रवासी भारतीयों के लिए शुरू की गई पहलें
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