इस वैक्सीन को mRNA तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है। इसे कैंसर के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया या इम्यून रिस्पॉन्स को सक्रिय करने के लिए निर्मित कियाए गया है।
- प्रारंभ में यह कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए बनाई जा रही थी। इसकी हर खुराक अलग-अलग मरीज के ट्यूमर की म्यूटेशन प्रोफाइलिंग (यानी ट्यूमर में मौजूद बदलावों की जांच) के आधार पर विशेष रूप से तैयार की जाती है।
mRNA वैक्सीन के बारे में

- mRNA टीके एक प्रकार के टीके हैं, जो मैसेंजर आरएनए (mRNA) के एक छोटे टुकड़े का उपयोग करके हमारी कोशिकाओं को वायरस के लिए विशिष्ट प्रोटीन का उत्पादन करने का निर्देश देते हैं।
- mRNA यानी मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड एक आनुवंशिक मॉलिक्यूल (अणु) है। इसमें ऐसे निर्देश या संकेत होते हैं, जो कोशिकाओं को अपने प्राकृतिक तंत्र का उपयोग करके किसी बाह्य रोगाणु द्वारा शरीर में प्रवेश करने पर उसे नष्ट करने हेतु प्रोटीन बनाने के लिए निर्देशित करते हैं।
- यह वैक्सीन प्रोटीन उत्पादन को सक्रिय करने के लिए लिपिड नैनोकणों में संग्रहित आनुवंशिक सामग्री को शरीर में पहुंचाती है। इनसे शरीर को ऐसे प्रोटीन उत्पन्न करने के लिए संकेत प्राप्त होता है, जो एंटीजन नामक रोगजनकों के समान होते हैं।
- उदाहरण के लिए- COVID-19 के खिलाफ mRNA वैक्सीन शरीर की कोशिकाओं को यह निर्देश देती है कि वे कोरोनावायरस की बाहरी सतह पर पाए जाने वाले स्पाइक प्रोटीन जैसी प्रतिकृति (Copy) बनाएं।
- शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इन बाहरी एंटीजन को शरीर के दुश्मन के रूप में देखती है तथा उन्हें नष्ट करने के लिए एंटीबॉडी और T-कोशिका नामक रक्षा प्रणाली को सक्रिय करती है। साथ ही, यह भविष्य में रोगाणुओं को नष्ट करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्षम भी बना देती है।
mRNA वैक्सीन्स से संबंध में चुनौतियां:
- भंडारण संबंधी अनिवार्यता: इनके भण्डारण के लिए अल्ट्रा-कोल्ड स्टोर करने की आवश्यकता होती है, जिससे वितरण मुश्किल हो सकता है।
- अल्पकालिक दुष्प्रभाव या साइड इफेक्ट्स: इसमें बुखार आना, थकान और इंजेक्शन जहां लगाया जाता है, वहां दर्द होना शामिल है।
- दीर्घकालिक सुरक्षा: mRNA वैक्सीन्स अपेक्षाकृत नवीन हैं, इसलिए इनके दीर्घकालिक प्रभावों का अभी भी अध्ययन किया जा रहा है।