केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP-AMR) के दूसरे संस्करण (2025-29) का शुभारंभ किया।
NAP-AMR 2.0 के बारे में
- यह पहली राष्ट्रीय कार्य योजना (2017-2021) में पहचानी गई कमियों पर आधारित है। साथ ही, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित ‘AMR पर वैश्विक कार्य योजना’ के अनुरूप है।
- इसमें कार्यान्वयन की प्रगति की प्रभावी निगरानी के लिए समय-सीमा और बजट के साथ प्रत्येक प्रमुख हितधारक मंत्रालय/ विभाग की विशिष्ट कार्य योजनाएं शामिल हैं।
- मुख्य रणनीतियां:
- AMR-संबंधी प्रयासों के स्वामित्व में वृद्धि करना और क्षेत्रकों के बीच समन्वय को मजबूत करने के लिए सुपरिभाषित तंत्र स्थापित करना;
- प्रयोगशालाओं की क्षमता को बढ़ाना और स्वास्थ्य सुविधाओं में संक्रमण को नियंत्रित करना;
- निजी क्षेत्रक के साथ मजबूत सहभागिता सुनिश्चित करना।
AMR और AMR के प्रभाव के बारे में
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) तब होता है, जब सूक्ष्मजीव जैसे जीवाणु, विषाणु, कवक और परजीवी उन दवाओं का प्रतिरोध करने के लिए तंत्र विकसित कर लेते हैं, जिन्हें उन्हें नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- AMR के प्रभाव:
- वैश्विक स्वास्थ्य खतरा: वैश्विक स्तर पर अप्रत्यक्ष रूप से AMR से प्रतिवर्ष लगभग 4.95 मिलियन मौतें होती हैं और 1.27 मिलियन मौतें प्रत्यक्ष तौर पर इसी के कारण होती हैं।
- उच्च स्वास्थ्य देखभाल बोझ: अप्रभावी उपचार के कारण परिवारों के लिए स्वास्थ्य देखभाल की लागत बढ़ जाती है।
- संवृद्धि और अर्थव्यवस्था: AMR उत्पादकता को कमजोर करता है और वित्तीय नुकसान को बढ़ाता है। इससे राष्ट्रीय एवं वैश्विक आर्थिक संवृद्धि के समक्ष खतरा उत्पन्न होता है।
- उपचार में देरी: एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध के कारण प्रभावी उपचार में देरी होती है।
- अन्य: खाद्य उत्पादन में कमी; चिकित्सा प्रक्रियाओं के समक्ष खतरा; चिकित्सा संबंधी प्रगति का बाधित होना आदि।