CPCB हर दो साल में नदियों के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी प्रकाशित करता है। इसमें मुख्य रूप से बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) को एक महत्वपूर्ण संकेतक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
- BOD ऑक्सीजन की उस मात्रा को दर्शाता है, जिसका बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीव कार्बनिक पदार्थों को ऑक्सीजन की उपस्थिति में एक निश्चित तापमान पर विघटित करते समय उपभोग करते हैं।
PRS तय करने के लिए मानदंड
- जिन नदी लोकेशंस/ खंडों में BOD का स्तर 3 मिलीग्राम/ लीटर (mg/L) से अधिक पाया जाता है, और जो नदी जल में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता मानक को पूरा नहीं करते हैं, उन्हें प्रदूषित खंड या प्रदूषित लोकेशंस माना जाता है।
- PRS को अधिकतम BOD स्तर के आधार पर पांच प्राथमिकता श्रेणियों (I से V) में विभाजित किया गया है।
- प्राथमिकता I और V के लिए BOD क्रमशः 30.0 मिलीग्राम/ लीटर (mg/L) से अधिक और 3.0-6.0 मिलीग्राम/ लीटर (mg/L) के बीच होता है।
मुख्य निष्कर्ष
- 2023 में, निगरानी के दौरान 271 नदियों में 296 PRS पाए गए थे। वहीं 2022 में 279 नदियों में 311 PRS थे।
- महाराष्ट्र (54) में सबसे ज़्यादा PRS या लोकेशंस पाए गए हैं। इसके बाद केरल (31) का स्थान रहा है।
- 2022 के मूल्यांकन की तुलना में 'प्राथमिकता I' खंडों की संख्या 45 से घटकर 37 हो गई।
- तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 'प्राथमिकता I' में सबसे ज़्यादा खंड या लोकेशंस पाए गए हैं।
भारत में नदी प्रदूषण कम करने में मदद करने वाले उपाय
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