हाल ही में हुई एक सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब मानहानि को अपराध नहीं माना जाना चाहिए।
मानहानि (Defamation) क्या है?
- मानहानि का मतलब है- झूठे और दुर्भावनापूर्ण बयानों को बोलकर, लिखकर या प्रकाशित करके किसी व्यक्ति, समूह या किसी के करीबी रिश्तेदार की साख/ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना।
- आमतौर पर मानहानि के दो रूप हैं- लिखित/ अपमानजनक लेख से मानहानि और मौखिक/ बदनाम करने से संबंधित मानहानि।
- लिखित/ अपमानजनक लेख (Written or Libel) से मानहानि: लिखित शब्दों, चित्रों या प्रकाशित सामग्री के जरिए की गई मानहानि।
- मौखिक/ बदनाम करने से संबंधित (Oral or Slander) मानहानि: यह गलत बोला गया बयान होता है, जो मौखिक रूप से किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है।
- भारत में प्रावधान/स्थिति
- भारतीय कानून के तहत, पीड़ित व्यक्ति मानहानि के लिए क्रिमिनल अपराध और/या सिविल अपराध दोनों तरह से मुकदमा दायर कर सकता है।
- वर्तमान में, भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में मानहानि को अपराध घोषित किया गया है। यह पहले IPC (भारतीय दंड संहिता) की धारा 499 के अंतर्गत थी।
मानहानि को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की आवश्यकता क्यों है?
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन: आपराधिक मानहानि के नियम संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अधिकारों को प्रतिबंधित कर सकते हैं, क्योंकि कानूनी दंड का डर सार्वजनिक रूप से विचारों की अभिव्यक्ति को रोक सकता है।
- असहमति को दबाना: निजी व्यक्तियों द्वारा आलोचकों को डराने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
- अन्य: प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खतरा, आदि।
मानहानि को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के पक्ष में सिफारिशें और निर्णय
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