वैज्ञानिकों ने पिछले तीस वर्षों में हुई "सोलर डिमिंग" यानी पृथ्वी पर सूर्य के कम प्रकाश पहुंचने का कारण मानवजनित उच्च एयरोसोल उत्सर्जन को बताया है।
- एयरोसोल प्रदूषण के स्रोत हैं; औद्योगिक उत्सर्जन, बायोमास दहन और वाहन से प्रदूषण।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
- धूप में कमी (Decline in Sunshine):
- उत्तर भारत के मैदानों में धूप के घंटे में सबसे तेज़ यानी प्रतिवर्ष 13.1 घंटे की गिरावट दर्ज की गई।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र: यहां धूप के घंटों में मौसमी स्थिरता देखी गई, यानी बहुत अधिक गिरावट नहीं हुई। इसका कारण स्थानीय मौसम और ट्वॉमी इफेक्ट (Twomey effect) है।
- टूमी इफेक्ट: यह बताता है कि कैसे बढ़े हुए मानवजनित एयरोसोल उत्सर्जन बादलों को अधिक चमकदार बना देते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये एयरोसोल्स अधिक छोटी बूंदों का निर्माण करते हैं, जो अधिक सूर्य-प्रकाश को परावर्तित करती हैं और जलवायु को ठंडा करती हैं।
- सोलर डिमिंग के कारण: दीर्घकालिक सोलर डिमिंग का मुख्य कारण औद्योगिक प्रदूषण से उत्पन्न एरोसोल की उच्च मात्रा है।
- ये एरोसोल संघनन केंद्रक (Condensation nuclei) के रूप में कार्य करते हैं। इससे बादलों के जलकण छोटे और लंबे समय तक टिके रहते हैं। परिणामस्वरूप, आकाश लंबे समय तक बादलों से ढका रहता है।
एयरोसोल और इसके प्रकार
- एयरोसोल: ये वायुमंडल (गैस माध्यम) में निलंबित अत्यंत लघु ठोस या तरल कण होते हैं। ये दो प्रकार के हैं:
- प्राथमिक एयरोसोल: वे कण जो सीधे उत्सर्जित होते हैं, उदाहरण के लिए-समुद्री लवण स्प्रे (सी-स्प्रे), धूल, धुआं और ज्वालामुखीय राख।
- गौण एयरोसोल: ये रासायनिक अभिक्रियाओं के माध्यम से गैसों से बनते हैं, उदाहरण के लिए-औद्योगिक उत्सर्जन या बायोमास दहन से उत्पन्न सल्फेट्स।
एरोसोल के प्रभाव:
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