अब केवल छत्तीसगढ़ के तीन जिले (बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर) ही वामपंथी उग्रवाद (LWE) से सबसे अधिक प्रभावित हैं।
- वामपंथी उग्रवाद (LWE) से प्रभावित जिलों की संख्या भी 18 से घटाकर मात्र 11 रह गई।
भारत में वामपंथी उग्रवाद (LWE)
- पृष्ठभूमि: इसकी शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी आंदोलन से हुई थी।
- विचारधारा: इसका मूल कारण सामाजिक-आर्थिक असमानताओं में निहित हैं और यह माओवादी विचारधाराओं से प्रेरित है। नक्सलवाद ऐतिहासिक रूप से भारत के कुछ सबसे दूरदराज, पिछड़े और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में ज्यादा प्रभावी रहा है।
- सरकार ने 31 मार्च 2026 तक वामपंथी उग्रवाद को पूरी तरह से समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
भारत की बहुआयामी वामपंथी उग्रवाद विरोधी रणनीति
- राष्ट्रीय कार्य योजना और नीति (2015):
- इसमें वामपंथी उग्रवाद के टॉप लीडर्स के साथ-साथ जमीनी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना; संबंधित हिंसा समर्थक व कुटिल विचारधारा से निपटना; वित्तीय संसाधनों या फंडिंग पर रोक लगाना; राज्यों एवं केंद्र सरकारों के बीच समन्वय बढ़ाना आदि शामिल हैं।
- समाधान (SAMADHAN) रणनीति: इसमें स्मार्ट नेतृत्व, आक्रामक रणनीति, प्रेरणा, प्रशिक्षण आदि शामिल हैं।
- विकास संबंधी प्रयास:
- वित्तीय समावेशन के प्रयासों में बैंक शाखाएं, ATM और डाकघर खोलना तथा बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट का संचालन करना शामिल है।
- कौशल विकास एवं शिक्षा संबंधी पहलों में ITIs, कौशल विकास केंद्र और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की स्थापना करना शामिल है।
- स्थानीय आबादी को व्यक्तिगत सुविधाएं प्रदान करने और लाभ पहुंचाने के लिए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान चलाया जा रहा है।
- सामुदायिक सहभागिता और लोगों की धारणा का प्रबंधन: उदाहरण के लिए- सिविक एक्शन प्रोग्राम (CAP) का उद्देश्य सुरक्षा बलों के व्यवहार को मानवीय एवं मित्रवत बनाना। साथ ही, स्थानीय लोगों के साथ उनके अच्छे संबंध स्थापित करना है।
- अन्य: इसमें नक्सली आत्मसमर्पण-सह-पुनर्वास योजना आदि शामिल है।